आरबीआई ने दफनाया पीएम मोदी से जुड़ा ये राज, अगर की जानने की कोशिश तो जाएगी जान

मोदी से जुड़ा सबसे बड़ा राजनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा सबसे बड़ा राज आरबीआई ने दफना दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मोदी के नोटबंदी के फैसले को लेकर किसी भी सवाल का जवाब देने से मना कर दिया है। आरबीआई ने राष्‍ट्रीय सुरक्षा और जान के खतरे का हवाला देते हुए बीती आठ नवंबर को पीएम मोदी द्वारा लिए गये नोटबैन के फैसले की कोई भी जानकारी साझा करने से साफ मना कर दिया है।

नोटबंदी के दिन से दो जनवरी के बीच ब्लूमबर्ग न्यूज़ ने आरटीआई के तहत आरबीआई से 14 सवालों के जवाब मांगे थे। इनमें से केवल पांच ही सवालों के जवाब दिए गए। इन जवाबों में बैंक की बोर्ड मीटिंग के समय और तारीख की डीटेल के साथ साथ कहा गया कि बोर्ड ने आठ नवंबर से पहले नोटबंदी पर चर्चा नहीं की। बैंकों में बिना मूल्‍य के कितने नोट जमा हुए इसकी जानकारी भी बैंक ने देने पल्ला झाड़ गया। वहीं नए नोटों को छापने के संबंध में पूछे गये सवाल नोट छापने वालों को भेज दिये गये हैं।

आरबीआई ने बताया कि आरटीआई एक्ट इस बात की इजाजत कतई नहीं देता है कि बोर्ड नोटबंदी से जुड़े कारणों उसके फैसले के संबंध में कोई भी जानकारी किसी से भी साझा करे। वहीं नोटबंदी के फैसले को लेकर भी आरटीआई में अलग अलग जवाब सामने आये हैं। एक जवाब में बताया गया कि नोटबंदी सभी की आम सहमति से लिया गया फैसला था वहीं इसके उलट एक जवाब में बताया गया कि इस बात का कोई रिकार्ड है ही नहीं। वहीं नोटबंदी के निर्णय के समय बैंकों में जमा पुराने नोटों की जानकारी सार्वजनिक करने से भी आरबीआई ने साफ मना कर दिया। उसका कहना था कि इसकी जानकारी बताने वाले की जान को खतरा हो सकता है।

नोटबंदी को लेकर आरबीआई के जवाबों पर केंद्रीय सूचना आयोग के पूर्व नौकरशाह शैलेश गांधी ने बताया कि आरबीआई भारत के आम नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन कर रही है उसे आरटीआई के तमाम सवालों के जवाब सामने रखने चाहिये। वहीं इस बात पर भारत की स्‍वायत्‍तता, अखंडता और सुरक्षा का हवाला देते हुए आरबीआई ने कहा कि नोटबंदी से जुड़े किसी भी सवाल के जवाब को साझा करना मतलब अपनी जान खतरे में डालना है।

 

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