
एक व्यक्ति कहीं जा रहा था उसे हार्ट अटैक आ गया लेकिन वो बच गया। इस घटना के बाद उसे हर बात से डर लगने लगा। वह मनोवैज्ञानिक के पास गया और बोला, अज्ञात भयों के कारण मेरे जीवन में आनंद नहीं रह गया है। हर समय डर में जी रहा हूं।
यह सुनकर मनोवैज्ञानिक बोले, ‘मैं अपने जीवन का एक प्रसंग सुनाता हूं। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है और मेरे पास में ऐसी बहुत सी किताबें हैं, जिनसे मुझे बहुत प्यार है। लेकिन एक दिन घर में एक चूहा आ गया, जो मेरी किताबें चोरी से कुतर देता। मैंने बहुत उपाय किए, लेकिन चूहे को नहीं भगा पाया। मेरी रातों की नींद गायब हो गई।’
थोड़ा रुककर वह बोले, ‘वह छोटा सा चूहा मेरे मन में दानव का आकार ले लेता, इसके पहले ही मैंने जरूरी किताबें मजबूत अलमारी में बंद कर दीं और फालतू चूहे के लिए छोड़ दीं। इस तरह मैं अपने डर से मुक्त हो गया। वरना मेरा डर अभी तक राक्षस बन गया होता।
अर्थात :
समस्या जब छोटी हो, उसी समय उसे धैर्य और समझदारी से सुलझा लेना चाहिए। बाद में वही समस्या बड़ी हो जाती है और आपकी तमाम और परेशानियों की वजह बनती है।