चलते-फिरते सो जाते हैं इस गांव के लोग, वजह जान उड़ जाएँगे होश

डेस्क। हर कोई दिनभर काम करने के बाद रात को सुकून की नींद लेना चाहता है. अगर व्यक्ति को रात को अच्छी नींद आ जाती है तो अगले दिन वो आराम से काम कर सकता है, वहीँ जो भी व्यक्ति रात की नींद पूरी नहीं लेता उसका मन काम में नहीं लगता.

अगर आपको चलते-फिरते नींद आने लगे और आप सो जाए और आपको कोई भी ना जगाए. तो आप क्या करेंगे? अब आपको लग रहा होगा कि हम ऐसा क्यों बोल रहे हैं? तो आज हम आपको एक ऐसे गाँव के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ के लोग चलते-फिरते सो जाते हैं. आज हम आपको इसके रहस्य के बारे में भी बताने जा रहे हैं…

दरअसल हम जिस गाँव की बात कर रहे हैं वो कजाकिस्तान में मौजूद है. कलाची नाम के इस गाँव में रह रहे लोग बहुत समय से एक बहुत बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं. इनकी ये परेशानी ये है कि इन लोगों को चलते-फिरते नींद आ जाती है.

वैसे अचानक सो जाना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन एक बार सोने के बाद ये लोग कब उठेंगे इस बात का पता इन लोगों को भी नहीं होता. बहुत बार तो ये लोग बहुत हफ़्तों तक सोते ही रह जाते हैं जैसे की इनकी मौत ही हो गयी हैं.

गाँव के लोगों की इस समस्या को देखकर वैज्ञानिकों ने एक शोध किया, जिसमें उन्हें पता चला कि इस गाँव में कुल 800 लोग रहते हैं, जिनमें से 200 लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं.

वहीँ वैज्ञानिकों को ये भी पता चला कि इस वजह से बहुत से लोगों की मौत भी हो गयी हैं. वैज्ञानिकों को शोध में ये भी पता चला कि इस गाँव में हाइड्रोकार्बन-कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ गया है, जिसकी वजह से लोगों को उतनी ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही जितने ऑक्सीजन की जरूरत उन्हें हैं.

यही सबसे बड़ी वजह है कि लोग चलते-फिरते गहरी नींद में सो जा रहे हैं, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि अगर लोगों के चलते-फिरते सोने की वजह ये है तो गाँव के बाकी लोगों पर इसका कोई असर क्यों नहीं पड़ रहा सिर्फ कुछ लोगों पर ही क्यूँ असर हो रहा हैं?

जब वैज्ञानिकों को पहले कारण से संतुष्टि नहीं हुई तो उन्होंने दोबारा शोध करने का फैसला किया और शोध किया भी. वैज्ञानिकों को पता चला कि इस गाँव के आसपास जो यूरेनियम की खदान हैं, उनमें से बहुत अधिक मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड का प्रवाह हो रहा है,

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जिसकी वजह से लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जब वैज्ञानिकों को भी इस समस्या के पीछे की इस वजह से संतुष्टि नही हो पाई तो उन्होंने भी अपने हाथ खड़े कर दिए और कजाकिस्तान की सरकार ने गाँव के लोगों को दूसरी जगह रहने के लिए भेज दिया.

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