विकास दर 7.6 फीसदी, पांच सालों में सबसे ज्यादा

विकास दरनई दिल्ली: देश की विकास दर 2015-16 में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक 7.6 फीसदी रही। भारत ने जहां चीन को पीछे छोड़ दिया, वहीं देश के लिए भी यह दर पिछले पांच सालों में सर्वाधिक है। बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में विकास दर 7.9 फीसदी रही। आधिकारिक आंकड़ों से मंगलवार को यह जानकारी मिली।

विकास दर ने पकड़ी रफ़्तार

इस आंकड़ों पर प्रतिक्रिता व्यक्त करते कॉरपोरेट जगत ने कहा है कि यह तेजी का संकेत है। समीक्षाधीन वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में भारत का सकल घरेलू उत्पाद 7.9 फीसदी रहा है, जो सभी अनुमानों से अधिक है। वास्तविक प्रति व्यक्ति आय भी 6.2 फीसदी बढ़कर 77,435 रुपये हो गई।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा राष्ट्रीय आय पर जारी आंकड़े के मुताबिक, 2015-16 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 113.50 लाख करोड़ रुपये रहा, जो एक साल पहले 105.52 लाख करोड़ रुपये था। यह 7.6 फीसदी की वृद्धि है।

भारतीय रिजर्व बैंक के मंगलवार के संदर्भ मूल्य 67.20 रुपये प्रति डॉलर के मुताबिक, जीडीपी का मूल्य 1,690 अरब डॉलर है।

आंकड़े के मुताबिक, बीते वित्त वर्ष में प्रथम तिमाही की विकास दर 7.5 फीसदी, दूसरी तिमाही की 7.6 फीसदी, तीसरी तिमाही की 7.2 फीसदी और चौथी तिमाही की 7.9 फीसदी रही।

2014-15 में देश की विकास दर 7.2 फीसदी रही थी और 2013-14 में यह 6.6 फीसदी थी और 2012-13 में यह दर 5.6 फीसदी थी।

क्षेत्रवार देखा जाए, तो सात फीसदी से अधिक विकास दर वाले क्षेत्रों में रहे वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाएं (10.3 फीसदी), विनिर्माण (9.3 फीसदी), व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण संबंधी सेवाएं (नौ फीसदी) और खनन (7.4 फीसदी)।

सीएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जहां कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियां में एक फीसदी की गिरावट आई थी, वहीं चौथी तिमाही में इसमें 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि विकास दर 1.1 फीसदी रही है।

इसमें बताया गया कि “कृषि मंत्रालयों ने इन आंकडों के बाद खाद्यान्न उत्पादन के पूर्वानुमान में बदलाव किया है।”

वहीं, ताजा विकास दर चीन की दर से अधिक है। चीन की विकास दर कैलेंडर वर्ष 2015 की आखिरी तिमाही में 6.8 फीसदी और 2016 की प्रथम तिमाही में 6.7 फीसदी दर्ज की गई, जो 2009 के बाद सबसे कम है।

वर्ष 2015-16 के आर्थिक सर्वेक्षण में देश की विकास दर 2015-16 में 7.6 फीसदी रहने का अनुमान दिया गया था।

इस साल की शुरुआत में भारत को लेकर अपने पूर्वानुमानों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक ने साल 2015-16 में चीन को पीछे छोड़ने का अनुमान लगाया था और वर्तमान वित्त वर्ष में इसके और तेजी से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने विकास दर 7.4 फीसदी रहने का अनुमान दिया था।

आईएमएफ ने मई में कहा था कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी और जीडीपी साल 2015-16 के लिए 7.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। वहीं, विश्व बैंक ने जीडीपी की दर 7.3 फीसदी का अनुमान लगाया था।

जीडीपी आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन नेवतिया ने कहा, “इससे भी ज्यादा उत्साहजनक बात यह है कि साल 2015-16 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 7.9 रहने के बाद अर्थव्यस्था में आगे तेजी का संकेत मिल रहा है।”

उद्योग मंडल एसोचैम ने जीडीपी आंकड़ों को उत्साहजनक बताया है। एसौचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा, “जीडीपी के आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर दिखाते हैं। लेकिन कुछ अन्य सूक्ष्म संकेतक इसे बढ़ावा देते प्रतीत नहीं हो रहे हैं जैसे बैंक के ऋणों की मांग, ग्रामीण मांग और कारखानों में उत्पादन आदि।”

कोटक महिंद्रा बैंक ने जीडीपी के आंकड़ों को उम्मीद के अनुरूप बताते हुए कहा है कि निजी उपभोग को रफ्तार मिलने का मुख्य कारण निवेश से होने वाले खर्चो में बढ़ोतरी की बजाए कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा भारी लाभांश भुगतान है।

कोटक महिंद्रा की अर्थशाी उपासना भारद्वाज ने कहा, “कुल मिलाकर पूंजीगत माल के उत्पाद में कमजोरी और क्षमता विस्तार में कमी अर्थव्यवस्था को पीछे खींचते रहेगी। अगले कुछ तिमाहियों तक निजी पूंजी का निवेश कम ही होगा और अर्थव्यवस्था पूरी तरह से सरकार के निवेश और खर्च पर निर्भर करेगी।”

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