कोशिशों पर पानी… राष्‍ट्रगान पर न सुप्रीम कोर्ट, न मोदी की चलने देंगे पूर्व अटॉर्नी जनरल

राष्‍ट्रगाननई दिल्ली। पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराब जी ने राष्ट्रगान को सिनेमा हॉल में बजाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से वे सहमत नहीं है।

कानून का पालन इस तरह नहीं कराया जा सकता

उन्होंने कहा कि राष्ट्रगान बजते समय सिनेमा हॉल के एग्जिट को बंद रखने के आदेश सुरक्षा के नियमों के विरुद्ध है। सोली सोराबजी ने कहा है कि राष्‍ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले के पीछे मंशा तो अच्छी है लेकिन इस तरह के कानून का पालन करवाना संभव नहीं है और इसके कई प्रावधान व्यवहारिक नहीं हैं।

राष्ट्रगान के समय सबको खड़े होने का आदेश देते समय दिव्यांगों, धार्मिक लोगों और निजी धारणा रखनेवाले लोगों का ख्याल नहीं रखा गया है।

जज अपनी लक्ष्मण रेखा भूल गए हैं

सोराबजी ने कहा कि इस मामले में न्यायपालिका अपनी हद से थोड़ा बाहर निकल गई। जजों को यह नहीं समझना चाहिए कि सिर्फ वही देश और लोकतंत्र के रक्षक हैं। न्याय देते समय उनको लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए।

राष्ट्रभक्ति खड़े होने से साबित नहीं होगी

सोली सोराबजी ने कहा कि क्या खड़े होने से ही साबित होगा कि कोई राष्ट्रवादी या देशभक्त है? राष्ट्रगान बजते समय तिरंगा और संविधान में यकीन न रखने वाला धूर्त भी खड़ा हो जाएगा।

सोली सोराबजी ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला भी दिया जिसमें धार्मिक आस्था के आधार पर केरल के तीन स्टूडेंट्स को राष्ट्रगान नहीं गाने के अधिकार की बात कही गई थी।

सोराबजी ने कहा, ‘अगली सुनवाई में हो सकता है कि कोई वकील या फिर अटॉर्नी जनरल, कोर्ट से कहे कि वह इस तरह के आदेश पारित नहीं कर सकता।’

राष्ट्रगान पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्‍या है?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि देशभर के हर सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान बजाया जाए। जब तक राष्ट्रगान बजता रहे तब तक स्क्रीन पर तिरंगा दिखाया जाए।

जब राष्ट्रगान बजे तो सबको इसके सम्मान में खड़े होना अनिवार्य है। भोपाल के श्याम नारायण चौकसे की याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला दिया था।

 

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