रायपुर में आईपीएल के खिलाफ फैसला सुर‍क्षित

रायपुर में आईपीएलबिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने रायपुर में आईपीएल मैच के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका को लंबी बहस के बाद निर्णय शुक्रवार को सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान शासन ने मैच के लिए पानी नहीं देने की बात कही है। लिहाजा, बीसीसीआई को ही पानी की व्यवस्था करानी होगी।

अदालत ने कहा कि दर्शकों को बिना खर्च किए शुद्ध पानी उपलब्ध होना चाहिए। रायपुर में 20 व 22 मई को आईपीएल के दो मैच खेले जाएंगे। इस मैच के खिलाफ चंद्रशेखर शुक्ला सहित अन्य ने हाईकोर्ट में अलग-अलग याचिका दाखिल की है।

याचिका में कहा गया है कि प्रदेश में सूखे की स्थिति है। जलाशय, नदी, नाला सूख गए हैं। भूजल स्तर भी नीचे चला गया है। परसदा क्षेत्र में पानी की कमी से मवेशी मर रहे हैं। किसानों की फसल सूख गई है।

रायपुर में आईपीएल में दोहरा जवाब

हाईकोर्ट ने मामले में राज्य शासन, नगर निगम रायपुर, बीसीसीआई, छत्तीसगढ़ क्रिकेट संघ व टीम मैनेजमेंट को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। याचिका में गुरुवार को हाईकोर्ट की युगलपीठ में दो घंटे तक बहस हुई थी। बहस के दौरान शासन की ओर से दो तरह के जवाब प्रस्तुत करने पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि सरकार ने प्रदेश में सूखा होने पर स्थिति से निपटने में केंद्र सरकार से 400 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मांगी है। वहीं दूसरी ओर आईपीएल मैच के लिए पानी बर्बाद किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश इस तर्क के बाद शासन की ओर से रायपुर में आईपीएल मैच के लिए पानी नहीं देने की बात कही गई। दूसरी ओर बीसीसीआई के अधिवक्ता ने मैच के लिए पानी की व्यवस्था कर लिए जाने की बात कही।

इस पर कोर्ट ने बीसीसीआई के अधिवक्ता से पूछा कि क्या लातूर के समान रेलमार्ग से पानी लाया जाएगा? दो घंटे की लंबी बहस के बाद अदालत ने कहा कि बीसीसीआई अपने स्रोत से पानी लाए व यहां मैच देखने जाने वालों को बिना खर्च किए पीने का शुद्ध पानी मिलना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका में अंतरिम राहत की मांग करते हुए प्रस्तुत आवेदन पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है।

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विमलेश बाजपेयी, रजनीश सिंह बघेल, हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा, बीसीसीआई की ओर से राजीव श्रीवास्तव व शासन की ओर से महाधिवक्ता जे.के. गिल्डा ने बहस की।

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