झारखंड : विपक्ष के बंद से जनजीवन प्रभावित

रांची। राज्य के दो भूमि अधिनियमों में संशोधन के विरोध में संयुक्त विपक्षी दलों द्वारा शुक्रवार को दिन भर के बुलाए गए राज्यव्यापी बंद से झारखंड में सामान्य जनजीवन प्रभावित रहा। बंद शुक्रवार सुबह तड़के शुरू हो गया।

राज्यव्यापी बंद

बंद समर्थकों ने राज्य में इस दौरान तीन वाहनों को आग लगा दी। एक वाहन को जमशेदपुर और दो वाहनों को दुमका में आग के हवाले किया गया। उन्होंने राज्य में कई जगहों पर रास्ते भी जाम कर दिए। वाहनों की आवाजाही रोकने के लिए कई जगहों पर सड़कों के बीच टायरों को भी जलाया गया।

राज्य के ज्यादातर हिस्सों में स्कूल, कॉलेज और दुकानें बंद रहीं। रांची में बंद का सबसे ज्यादा असर दिखाई दिया। यहां स्कूल और दुकानें बंद रहीं।

राज्य सरकार ने स्थिति पर नजर रखने के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए थे। पूरे राज्य के जिलों में भारी पुलिस बल तैनात किए गए थे। बंद समर्थकों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन्स भी तैनात किए गए थे।

संयुक्त विपक्ष में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), झारखंड विकास मोर्चा- प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी), कांग्रेस, जनता दल (यूनाटेड), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और वाम दल शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यह कहने के बावजूद कि भूमि अधिनियिम जनजातीय और स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाया गया है, मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार बुधवार को संशोधन विधेयकों को विधानसभा में पारित कराने में कामयाब रही।

इस विधेयक से दो भूमि अधिनियमों में संशोधन -छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम- को विपक्ष के भारी विरोध के बीच सदन में पेश किया गया। लेकिन इन संशोधनों को बिना चर्चा के ही ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

इन संशोधन विधेयकों के पारित हो जाने से कृषि भूमि का इस्तेमाल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा। सरकार भूमि का अधिग्रहण बुनियादी ढांचे, विद्युत संयंत्र, सड़क, नहरें, पंचायत इमारतों और दूसरे कार्यो के लिए कर सकेगी।

पूर्व मुख्यमंत्री और जेवीएम-पी के अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी ने कहा, “यह पहली बार है कि जब अधिनियमों में संशोधन बिना लोगों की राय लिए किया गया है। यह संशोधन उद्योगपतियों के लिए जनजातीय लोगों की भूमि अधिग्रहण करने के लिए किया गया है।”

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