बच्चे ने सेफ्टी पिन को बनाया मौत का निवाला, फिर हुआ चमत्कार

मौत का निवालालखनऊ। केजीएमयू के ईएनटी विभाग के डॉक्टरों ने दो मरीजों की बेहद मुश्किल सर्जरी करके उनकी जान बचा ली है। इसमें एक 10 माह के बच्चे ने सेफ्टी पिन को मौत का निवाला बना लिया था और उसे खा लिया था जो अंदर जाकर खुल गई और सांस की नली में फंस गई थी। वहीं, दूसरे मामले में 15 साल के किशोर की आंख के पास से ट्यूमर निकाल दिया। इस ट्यूमर की वजह से उसका चेहरा लगभग टेढ़ा हो गया था।

हरदोई के राजा मैदान निवासी रामशंकर के 10 माह के बेटे प्रिंस ने 15 नवंबर को सेफ्टी पिन खा ली थी। चार दिन से प्रिंस दर्द से छटपटता रहा। शनिवार रात करीब दो बजे बेहोशी की हालत में परिवारीजन उसे लेकर ट्रॉमा सेंटर पहुंचे। यहां जांच के बाद पता चला कि उसके गले में सेफ्टी पिन फंस गई है। सांस में तकलीफ होने पर उसे ऑक्सीजन लगाई गई। आनन-फानन में ईएनटी विभाग के डॉक्टर वीरेंद्र वर्मा के निर्देशन में इलाज शुरू हुआ।

डॉक्टर वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि बच्चे का ऑपरेशन कठिन था। क्योंकि सेफ्टी पिन बीच में अटकी थी। लिहाजा बच्चे को बेहोश नहीं किया जा सकता है। वहीं, एंडो ट्रैकल ट्यूब भी नहीं जा सकती थी। लिहाजा हल्की बेहोशी दी गई। इसके बाद इंडोस्कोपी व दूसरे उपकरणों के सहारे सेफ्टी पिन निकाल दी गई। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चे को ज्यादा देर तक बेहोशी की डोज नहीं दी जा सकती थी। ऐसे में कम समय में जल्द से जल्द ऑपरेशन करना था।

45 मिनट में निकाला खतरनाक ट्यूमर

डॉक्टर वीरेंद्र ने बताया कि पीलीभीत निवासी पवन कुमार (15) के गर्दन में ट्यूमर हो रहा था। इससे उसको गर्दन हिलाने में दिक्कत हो रही थी। इसकी वजह से उसकी एक आंख की पलक झपकना बंद हो गई। उसकी आंख हमेशा खुली रहती थी। उन्होंने कहा कि ट्यूमर का असर लार बनाने वाली ग्रंथी तक आ गया था।
आमतौर पर यह ट्यूमर 50 से 60 साल के व्यक्ति को होता है। डॉक्टर वीरेंद्र ने बताया कि ऑपरेशन काफी जटिल था। क्योंकि ट्यूमर चेहरे की नस तक पहुंच चुका था। इस नस को थोड़ा भी नुकसान पहुंचने पर मरीज का चेहरा विकृत हो सकता था। इससे मरीज को हंसने में भी दिक्कत होती।

उन्होंने कहा कि करीब 45 मिनट की जटिल ऑपरेशन हुआ। इसके बाद ट्यूमर निकाल दिया गया। पवन अब पूरी तरह से ठीक है। ट्यूमर करीब 250 ग्राम का था।

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