अब किताब के ज़रिये होगी ‘मन की बात’

मन की बातनई दिल्ली| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ अब किताब के रूप में जल्द ही कॉलेज-यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में नजर आएगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपनी वेबसाइट पर भी ‘मन की बात’ को नौ पन्नों में पेश किया है।

बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अंजिला गुप्ता ने बताया, “यूजीसी ने वेबसाइट पर सर्कुलर जारी कर जानकारी दी है। आधिकारिक रूप से अभी ई-मेल नहीं पहुंचा है। फिर भी हम पीएम के मोबाइल एप और किताब दोनों को स्टूडेंट तक पहुंचाएंगे। यह बच्चों के भविष्य के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।”

मन की बात पर किताब

पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.जी. सिंह ने बताया कि मन की बात पर किताब आने की खबर मिली है। यह छात्रों के साथ देश के सभी नागरिकों के लिए उपयोगी साबित होगी। यूजीसी ने वेबसाइट पर नौ पन्ने भी उपलोड किए हैं। इसे कोई भी आसानी से पढ़ सकता है।

मोदी की ‘मन की बात’ को किताब का रूप भाजपा के एक बड़े नेता ने दिया है। इसका विमोचन पिछले दिनों दिल्ली में किया गया। किताब में 3 अक्टूबर, 2014 से लेकर 27 मार्च, 2016 तक की मन की बात का संकलन है। इसे छात्रों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी यूजीसी को भी दी गई है।

यूजीसी के सचिव प्रो. जसपाल एस. संधू ने 16 मई को देशभर के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को सर्कुलर जारी कर बताया कि ‘मन की बात’ को 9 पन्नों में वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इसे छात्रों तक पहुंचाने के लिए कहा गया है। साथ ही इस पर फीडबैक भी मांगा गया है।

बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जी.डी. शर्मा का कहना है, “प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ काफी प्रभावशाली और युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। इसमें सामाजिक बुराई को दूर करने के साथ युवाओं को प्रेरित करने पर जोर होता है। डिजिटल किताब या कागज की किताब, हम लाइब्रेरी में रखेंगे।”

यूजीसी पहले चरण में मन की बात को डिजिटल बुक के माध्यम से प्रस्तुत करेगा। इसे ई-लाइब्रेरी के माध्यम से पढ़ा जा सकेगा।

मोदी की मन की बात को मोबाइल नंबर 8190881908 पर मिस्ड कॉल करके भी सुना जा सकता है। इस समय इसे केवल हिंदी में सुना जा सकता है। यूजीसी अन्य भाषाओं में भी इसका अनुवाद कराने जा रहा है।

 

 

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