नोट बैन : फैसले से तैयारी की कमी उजागर, हर दिन बदल रहे नियम

नोट बैननई दिल्ली: देश में 500 और 1000 रुपये के नोट बैन के कारण जो भयावह और संकटपूर्ण स्थिति पैदा हुई है, सरकार उसका आकलन करने में स्पष्ट रूप से नाकाम रही। सरकार अब इसके नतीजे से जूझ रही है और उसने देश को परेशानी में डाल दिया है।

आठ नवंबर को इस कदम की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह एक गोपनीय अभियान था और उन्होंने घोषणा की थी कि यह कुछ दिनों की असुविधा है। वह शायद यह भूल गए कि भारत एक ऐसा देश है, जहां 78 प्रतिशत लेन-देन नकदी में होता है।

जब से इस फैसले की घोषणा की गई, पिछले 11 दिनों से सरकार या तो नोट बैन के इस फैसले से हुई परेशानी का अंदाजा लगाकर आंशिक रूप से या पूरी तरह से अपने पहले के आदेशों से पीछे हटी है या पलटती रही है। बंद नोटों का बाजार में हिस्सा 86 प्रतिशत है और मूल्य 14 लाख 50 हजार करोड़ रुपये के बराबर है।

जब मोदी ने फैसले की घोषणा की तो कहा कि 4000 रुपये तक के बंद किए गए नोट बदले जा सकते हैं और दो हजार रुपये तक के छोटे नोट एटीएम से लिए जा सकते हैं। इसके अलावा बैंकों में कितनी भी बड़ी राशि भी जमा की जा सकती है। उन्होंने बैंक काउंटर से एक दिन में 10 हजार रुपये तक निकालने की सीमा तय कर दी।

नौ नवंबर को बैंक और एटीएम बंद रखने के आदेश दिए गए, ताकि उनसे 100 रुपये के नोट निकल सकें। वित्त सचिव अशोक लावासा ने कहा कि 500 और 2000 रुपये के नोट 11 नवंबर से उपलब्ध हो पाएंगे। एटीएम नए नोटों के हिसाब से व्यवस्थित नहीं हो पाए थे और इसकी प्रक्रिया अब भी जारी है।

खासकर इलाज के लिए जो लोग आपातस्थिति में थे उन्हें अस्पतालों से अगले 72 घंटों तक 11 नवंबर की मध्य रात्रि तक बंद हुए नोट स्वीकार करने की अनुमति देकर राहत दी गई।

11 नवंबर को यह समय सीमा 14 नवंबर तक बढ़ा दी गई और इसके साथ ही बिजली बिल और जन उपयोगी सेवा को इस राहत वाली सूची में जोड़ दिया गया। इसके साथ ही सरकार ने 14 नवंबर तक राष्ट्रीय राजमार्गो का टॉल टैक्स खत्म कर दिया, जिसे बाद में 24 नवंबर तक बढ़ा दिया गया।

12 नवंबर को जब एटीएम और बैंकों के बाहर कतारे समस्या बढ़ाती रहीं तो वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जानकारी दी कि इसमें दो-तीन हफ्ते लगेंगे जब सभी दो लाख मशीनों से नए नोट मिलने लगेंगे।

एक दिन बाद मोदी ने जो पहले जो ‘कुछ दिन की’ परेशानी बताई थी, 50 दिन के समय की बात की और लोगों से कहा कि अवैध कमाई से जमा किए गए पैसे को निकालने के लिए लोग दर्द बर्दाश्त करें।

सरकार ने बैंक से नोट बदलने की सीमा भी बढ़ा कर 4500 कर दी। रोजाना पैसा निकालने की सीमा भी बढ़ाकर 2500 रुपये कर दी।

साप्ताहिक निकासी की सीमा भी बढ़ाकर 24 हजार रुपये करने की घोषणा कर दी गई और प्रतिदिन 10 हजार रुपये निकालने की सुविधा वापस ले ली। रुपये निकालने पर लगने वाला शुल्क 30 दिसंबर तक खत्म कर दिया गया।

सरकार ने सावधानी बरतते हुए पैसा बदलने वालों की अंगुली पर अमिट स्याही लगाने का निर्णय लिया। ऐसा कुछ लोगों द्वारा अलग-अलग शाखाओं में जाकर बार-बार नोट बदलने की वित्त मंत्रालय में शिकायत मिलने के बाद किया गया।

दो दिनों बाद सरकार द्वारा सात फैसलों की जानकारी एक साथ जारी की गई। इनमें किसानों को 25 हजार रुपये तक प्रति हफ्ते नकदी निकालने और कृषि व्यापारियों को प्रति हफ्ते अपने खातों से 50 हजार रुपये निकालने की सुविधा दी गई।

शादी वाले परिवारों में एक बार 2.5 लाख रुपये तक निकालने की सुविधा दी गई। लेकिन नोट बदलने की अधिकतम सीमा घटाकर 4500 से 2000 रुपये कर दी गई।

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