नैनीताल में आपदा जोखिम अतिसंवेदनशील, प्रबंधन के लिए कमर कस रहा प्रशासन

नैनीताल को आपदा जोखिमनैनीताल। यहां आपदा जोखिम से संबंधित एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। यह वर्कशॉप नैनीताल कलेक्ट्रेट सभागार में संपन्न हुई। बता दें नैनीताल को आपदा जोखिम के तहत अतिसंवेदनशील माना जाता है। इन आपदाओं में त्वरित बाढ़, भूकम्प, भूस्खलन एवं बादल का फटना आदि प्रमुख हैं।

नैनीताल को आपदा जोखिम

विषयविशेषज्ञ टॉम व एकाडे ने जनपद की भू संरचना के साथ ही उपलब्ध संसाधनों का डाटा प्रजिटेंशन करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड राज्य पुर्नवास परियोजना के अन्तर्गत जनपद नैनीताल के साथ ही सम्पूर्ण उत्तराखण्ड राज्य का आपदा जोखिम आंकलन किया जा रहा है ताकि राज्य में अवस्थित महत्वपूर्ण अवसरंचनाओं एवं समाज के प्रति प्राकृतिक खतरों को भांपते हुए सुरक्षित भविष्य की नींव रखी जा सके।

आगे उन्होंने ने बताया कि जनपद का समग्र आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय विकास तभी सम्भव है जब हम प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को भांपते हुए समाज की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करें। इसके लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे साथ ही अपने-अपने विभागीय संसाधनों, योजनाओं की पूर्ण जानकारी रखते हुए उन्हें सूचीबद्ध व डाटाबेस तैयार कर उपलब्ध कराए।

उन्होंने कहा कि आपदा जोखिम आंकलन हेतु नैनीताल जनपद के साथ ही उत्तराखण्ड के सभी जनपदों का सर्वे कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। यह कार्य सिंगापुर की संस्था डीएचआई अपने तकनीकी सहयोगी एरन मैक्सीको, ऐसियन स्ट्यूट आफॅ टैक्नोलॉजी व अर्थ औबजर्रबैटरी ऑफ सिंगापुर के साथ कर रही है।

उन्होंने कहा कि जनपद में सर्वे का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है जिसमें सरकारी, गैर सरकारी रिहायसी भवन, व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल, कालेज एवं अन्य भवनों का संरचनात्मक सर्वे किया जायेगा, जिसके आधार पर एक विस्तृत जोखिम आंकलन रिर्पोट तैयार की जायेगी।

कार्यशाला में अपर जिलाधिकारी बीएल फिरमाल ने कहा कि सभी विभागीय अधिकारी अपने-अपने विभागीय स्तर पर तैयारियां करें तथा आपदा जोखिम को कम करने व आपदा से निपटने हेतु उनके पास क्या-क्या उपकरण हैं उन्हें चिन्हित कर डाटाबेस तैयार करें व क्या-क्या उपकरण चाहिए उसकी भी सूची उपलब्ध कराए ताकि आपदा के समय कम से कम परेशानियों का सामना करना पड़े।

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