सुख व सिद्धि का वरदान चाहिए तो ऐसे करें मां शैलपुत्री को प्रसन्न

एजेन्सी/  shailputri1-1444628300नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलीपुत्री का पूजन किया जाता है। यह देवी का प्रथम रूप है। ये पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, इसलिए इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। इस रूप में मां का वाहन वृषभ है। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल एवं बाएं हाथ में कमल है। पूर्वजन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या थीं। 

तब इनका नाम सती था। शिवजी से इनका विवाह हुआ। जब दक्ष ने यज्ञ किया तो वहां शिव का अपमान होने से सती ने स्वयं को अग्निकुंड में भस्म कर दिया। अगले जन्म में वे शैलपुत्री के रूप में उत्पन्न हुईं। इनमें अनंत शक्तियों का वास है। नवरात्र के पूजन का प्रारंभ इन्हीं से होता है। 

मां शैलपुत्री के पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है। इनकी कृपा से भक्त को सुख व सिद्धि की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री को इन मंत्रों से प्रसन्न किया जाता है-

ध्यान 

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रर्धकृत शेखराम्। 

वृशारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्वनीम्॥ 

पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्॥ 

पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥ 

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्। 

कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥ 

स्तोत्र 

पाठ प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्। 

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥ 

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्। 

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥ 

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन। 

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥ 

कवच 

ओमकार: में शिर: पातु मूलाधार निवासिनी। 

हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥ 

श्रींकार पातु वदने लावाण्या महेश्वरी। 

हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत। 

फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥

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