इस कारण उज्जैन में भरता है सिंहस्थ कुंभ, 2016 में बनेंगे 6 शुभ योग

एजेन्सी/  kumbh-1449639521उज्जैन। अमृत पाने के लिए देव-दानव में कोहराम मचा था। इनकी छीना-झपटी में चार स्थानों पर अमृत कलश से बूंदें गिरीं। जहां-जहां ये बूंदें गिरी थीं, वहां-वहां कुंभ या सिंहस्थ का मेला लगता है। समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। इन रत्नों में अमृत और विष भी निकले थे।

विष तो भगवान शिव ने पी लिया और अमृत के लिए दोनों दलों में युद्ध छिड़ गया। भगवान विष्णु ने माता लक्ष्मी का वरण कर लिया। इंद्र का पुत्र जयंत अमृत कलश लेकर भाग रहा था, बाकी देवता उसकी रक्षा कर रहे थे। जयंत दानवों से घिर गया। इस छीना-झपटी में चार स्थानों पर अमृत की बूंदें छलकीं।

वे स्थान हैं- प्रयाग, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार। मान्यता है कि जिन ग्रह स्थितियों में अमृत गिरा था, उनकी पुनरावृत्ति होने पर कुंभ महापर्व मनाया जाता है। सिंह राशि में जब गुरु का प्रवेश होता है, तब सिंहस्थ पर्व मनाया जाता है, इसलिए बाकी जगहों पर कुंभ और उज्जैन में सिंहस्थ नाम दिया गया है।

1945 से आज तक पं. व्यास तय कर रहे स्नान की तारीख

विक्रम संवत 2002 अर्थात सन 1945 से लगातार कुंभ देखते आ रहे ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि तब से लेकर आज तक हमारे पूर्वज और उनके बाद मेरे द्वारा ही सिंहस्थ पर्व का निर्धारण, शाही स्नान की तारीखें आदि प्रशानस को तय करके बताई जाती हैं।

10 योग में समाया है सिंहस्थ का सार

ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया कि सिंह राशि के बृहस्पति की प्राप्ति वैशाख शुक्ल पूनम में हो, तब उज्जैन में सिंहस्थ महापर्व होता है। इसके लिए 10 योग बताए जाते हैं, लेकिन हर बार ये योग नहीं मिलते हैं। 2016 में सिंहस्थ के दौरान ये 6 योग बन रहे हैं।

 
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