सख्ती के बाद से नए इलाके की तलाश में आतंकी संगठन
रामबन जिले का गूल इलाका वर्ष 2007 के बाद से शांत रहा है। आतंकी संगठनों की ओर से फिर से इस शांत इलाके को निशाना बनाने की साजिश के हिस्सा के तहत ही लश्कर ने अपने दो आतंकियों को यहां भेजा था।
घाटी में ऑपरेशन ऑल आउट के तहत सख्ती और लगातार आतंकियों के खात्मे की वजह से आतंकी तंजीमों ने अब नए इलाके में आतंकवाद की जड़ें फैलाने की साजिश रची है। इसी के तहत गूल इलाके का चयन किया गया है ताकि फिर से यहां आतंकवाद को जिंदा किया जा सके। चिनाब रीजन के साथ ही पीर पंजाल इलाके में फिर से आतंकवाद का दौर शुरू करने की साजिश का यह हिस्सा हो सकता है।
बताते हैं कि आतंकवाद के दौर में गूल में सभी आतंकी तंजीमें सक्रिय थीं। लश्कर ए ताइबा, हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए ताबड़तोड़ कई घटनाएं कीं। 2004-2005 तक यहां आतंकी संगठन सक्रिय रहे।
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इस दौरान धीरे-धीरे सभी सक्रिय आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ में मार गिराया। 2007 के बाद से तो यह इलाका पूरी तरह आतंकी वारदातों से मुक्त हो गया। चूंकि यह पीर पंजाल की पहाड़ियों में है। यहां की सीमा से दक्षिणी कश्मीर का कुलगाम जिला मिलता है, जो आतंकवाद के लिहाज से काफी संवेदनशील है।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का मानना है कि घाटी में सख्ती से आतंकियों ने सुरक्षित स्थानों पर पनाह ले लिया है। अब उन्हें डर सताने लगा है कि मूवमेंट की जानकारी मिलते ही सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा सकते हैं। इस वजह से अब आतंकी संगठनों ने जम्मू संभाग की ओर रुख करने की साजिश रची है।
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चिनाब रीजन के किश्तवाड़ जिले में आतंकी दो घटनाओं में परिहार बंधुओं तथा आरएसएस के नेता व उनके अंगरक्षक की गोली मारकर हत्या कर चुके हैं। घाटी की तरह ही हथियार लूट की वारदात को भी अंजाम देते हुए किश्तवाड़ के डीसी के अंगरक्षक का हथियार लूट चुके हैं। अब पीर पंजाल इलाके से भी लश्कर के दो आतंकी पकड़े गए हैं।
आतंकियों का आपरेशन हब रहा है गूल
गूल-रामबन का इलाका जम्मू संभाग के पुंछ, राजोरी, रियासी, उधमपुर, रामबन और दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम के बीच है। यह 2000 तक आतंकियों का आपरेशन हब रहा है। साथ ही विदेशी आतंकियों के लिए लांचिंग पैड भी रहा है।