प्रेम, वैभव और स्‍वास्‍थ्‍य तीनों देता है ॐ का जाप

ॐविश्‍व का सबसे प्राचीन धर्म माना जाने वाला सनातन हिन्‍दू धर्म का अगर गहराई से अध्‍ययन किया जाए तो हमें पता चलेगा कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है जो पूरी तरह से वैज्ञानिक है। इस धर्म में प्रचलित रीतियां, पूजा पद्धति और ऐसी ही अन्‍य क्रियाएं पूरी तरह से वैज्ञानिक कसौटियों पर खरी उतरी हैं। चाहे पूजा के समय घी का दीपक जलाने की रीति हो या मूर्ति की पूजा। सभी रीतियों का अपना वैज्ञानिक महत्‍व है।

विश्‍व में वैज्ञानिक प्रगति में प्रथम स्‍थान रखने वाले पश्चिमी देश जिन सत्‍यों को आज खोज रहे हैं हमारे सनातन धर्म में वे सत्‍य आज से हजारों वर्ष पहले ही खोज लिए गए थे।

उन्‍ही खोजों में से एक थी ओम शब्‍द की खोज। माना जाता है कि ओम ईश्‍वर का नाम है और यह ज्ञान आदि काल से ही ग्रहों के राजा सूर्यदेव को था। हिन्‍दू धर्मग्रन्‍थों के अनुसार सूर्य आदि काल से ही ॐ का उच्‍चारण और ध्‍यान करता आ रहा है तभी वह सभी देवताओं में सबसे ज्‍यादा ओजस्‍वी और तेजस्‍वी है।

हाल ही में नासा के अन्‍तरिक्ष वैज्ञानिकों ने भी यह सिद्ध कर दिया कि सूर्य की ध्‍वनि से ॐ शब्‍द की ध्‍वनि में निकलती है। आज हम ॐ के महत्‍व और उससे होने वाले लाभ के बारे में जानेंगे।

हमारे शास्त्रों में ॐ को एक पवित्र शब्द माना गया है। ॐ एक पवित्र ध्वनि तो है ही लेकिन इसके साथ ही यह अनंत शक्ति का भी प्रतीक है। ॐ यानि ओउम का शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है। ये शब्द हैं अ उ म। “अ” का अर्थ है आविर्भाव या उत्पन्न होना, पैदा होना, “उ” का उठना, उड़ना या विकास और “म” का मतलब होता है मौन धारण कर लेना यानि अपने आप को ब्रह्म में लीन कर देना अर्थात ब्रह्म में खो जाना। ॐ से ही सारे संसार की उत्पति हुई है और ॐ ही सारी स्रष्टि का पालनहार है। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष ये चारों पुरुषार्थ हमें ॐ से ही मिले हैं। ॐ का जाप बहुत अधिक महत्व रखता है। अनेकों साधकों ने ॐ के जाप द्वारा अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है। कोशीतकी एक ऋषि थे। उनकी कोई सन्तान नहीं थी। सन्तान प्राप्ति के लिए उन्होंने सूर्य का ध्यान लगाया और ॐ का जाप किया। ॐ का जाप करने से उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ। गोपथ ब्रह्मण ग्रन्थ में  बताया गया है की जो भी व्यक्ति कुश के आसन पर बैठ कर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करके एक हजार बार ॐ का जाप करेगा उसके सभी काम आसानी से पूरे हो जाते हैं।

ॐ के उच्चारण की विधि

सुबह उठकर नित्य कर्म से निवर्त हो जायें और उसके बाद ॐ का जाप करें। पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन और वज्रासन की अवस्था में बैठकर ॐ का उच्चारण करें। 5 से 21 बार ॐ का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण तेज बोलकर भी कर सकते हें और धीरे- धीरे बोलकर भी कर सकते हैं। माला द्वारा भी ॐ का जाप कर सकते हैं। ॐ का उच्चारण करने से बहुत अधिक शान्ति और उर्जा प्राप्त होती है।

ॐ का उच्चारण करने के लाभ-

  • ॐ का निरंतर जाप करने से खराब कर्म भी अच्‍छे कर्मों में बदल जाते हैं और सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
  • ॐ का निरंतर जाप करने से दरिद्रता से मुक्ति मिलती है।
  • ॐ का निरंतर जाप करने से सभी ग्रह और नक्षत्र जाप करने वाले के अनु‍कूल हो जाते हैं तथा लाभ देने की स्थिति में होते हैं।
  • ॐ का निरंतर जाप करने के पश्‍चात आपको अन्य किसी देवी-देवता के पूजा की जरूरत नहीं रह जाती क्‍योंकि यह स्‍वयं ईश्‍वर का नाम है और सभी देवता भगवान जगदीश्‍वर के ही रूप हैं।
  • ॐ के जाप से गुरु, शुक्र और शनि जाप करने वाले के बहुत ही अनुकूल हो जाते हैं जिसके कारण पद-प्रतिष्‍ठा, धन और वैभव, शैक्षिक और राजनीतिक उपलब्धियों में वृद्धि होती है।
  • ॐ का उच्चारण करने से पूरे शरीर की थकान मिट जाती है।
  • ॐ का उच्चारण करने से तनाव मिट जाता है।
  • जब कभी भी हमें गभराहट महसूस होने लगे या उतावलापन महसूस होने लगे तो हमें ॐ का उच्चारण करने से बहुत लाभ मिलता है।तनाव के कारण हमारे शरीर में जो द्रव्य पैदा हो जाते हैं। ॐ के जाप द्वारा वो सब नियंत्रित हो जाते हैं।
  • ॐ का जाप करने से हमारा ह्रदय सुचारू तरीके से कार्य करता है और खून के प्रवाह का संतुलन बना रहता है।
  • ॐ का उच्चारण करने से हमारी जो खाना पचाने की ताकत होती है वह और अधिक हो जाती है।
  • ॐ का जाप करने से हमें शक्ति व् स्फूर्ति प्राप्त होती है । ॐ का जाप करने से हमारे शरीर की थकान एकदम से दूर हो जाती है। अगर किसी को नींद ना आने की परेशानी हो तो ॐ का जाप करने से यह परेशानी कुछ ही दिनों में दूर हो जाती है. रात को जब सोने के लिए लेटें तो कुछ देर तक ॐ का जाप करें। ऐसा करने से बहुत अच्छी नींद आती है
  • प्राणायाम के साथ ॐ का जाप करने से हमारे फेफड़े ताकतवर बनते है
  • जब हम ॐ की पहले शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे हमारे शरीर में कंपन पैदा हो जाता है. इस कंपन से हमारी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और इसकी काम करने की शक्ति अधिक हो जाती है
  • जब हम ॐ के दूसरे शब्द का उच्चारण करते हैं तो इससे हमारे गले में जो थाईराइड ग्रन्थि है उसको ताकत मिलती है

एक फार्मूला समझ लें – स्‍वास्‍थ्‍य तन से स्‍वास्‍थ्‍य मस्तिष्‍क होता है और स्‍वास्‍थ्‍य मस्तिष्‍क से ही वैभव और संपदा आती है। 

 

 

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