होली के हुड़दंग में महिलाओं से की बदसलूकी तो पड़ सकता है महंगा

नई दिल्ली : होली का त्योहार रंग और उल्लास से भरा होता है। जहां इस त्योहार पर लोग जमकर होली खेलते हैं। वही एक दूसरे को रंगों से सराबोर कर देते हैं। लेकिन इस त्योहार के जोश में आप जाने अनजाने कानूनी पचड़े में भी पड़ सकते हैं। क्योंकि होली पर अक्सर महिलाएं भी खूब रंग खेलती हैं।

holi

 

ऐसे में यदि कोई पुरुष उनके साथ जोर जबरदस्ती करे या उनको आपत्तिजनक तरीके से छूने की कोशिश करे तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।

सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रही है गिन्नी चतरथ के मेहंदी की फोटो

बता दें की भारतीय दंड सहिंता यानी IPC महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है। इसलिए त्योहार पर भी उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती करना किसी को भी महंगा पड़ सकता है। वही महिलाओें के साथ-साथ बच्चों के साथ भी जोर जबरदस्ती या छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में भी सख्त कार्रवाई हो सकती है।

पुलिस महिलाओं के साथ होने वाले ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ धारा 354 के तहत मुकदमा दर्ज करती है।

जानिए आईपीसी की धारा 354 के बारे में –

क्या है IPC की धारा 354 –

देखा जाये तो भारतीय दंड संहिता की धारा 354 का इस्तेमाल ऐसे मामलों में किया जाता है। जहां स्त्री की मर्यादा और मान सम्मान को क्षति पहुंचाने के लिए उनके साथ जोर जबरदस्ती की जाए। जहां उनको गलत नीयत से छुआ जाए या उन पर आपत्तिजनक टिप्पणी की जाए या फिर बुरी नीयत से हमला किया जाए। गलत मंशा के साथ महिलाओं से किया गया बर्ताव भी इसी धारा के दायरे में आता है।

क्या होती है सजा –

भारतीय दंड संहिता के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की मर्यादा को भंग करने के लिए उस पर हमला या जोर जबरदस्ती करता है, तो उस पर आईपीसी की धारा 354 लगाई जाती है। जिसके तहत आरोपी पर दोष सिद्ध हो जाने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।

क्या होता है पॉक्सो एक्ट –

बच्चों के साथ जोर जबरदस्ती या छेड़छाड़ या उत्पीड़न के मामले में पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। ये शब्द अंग्रेजी से आता है। लेकिन इसका पूर्णकालिक मतलब होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्राम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। जो इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।

यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है. पॉक्सो एक्ट की धारा 5 एफ, 6, 7, 8 और 17, किसी शैक्षिक संस्थान में बाल यौन उत्पीड़न से सबंधित है।

अगर किसी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई होती है, तो आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाता है। जहां इस एक्ट के तहत धरे गए आरोपी को जमानत भी नहीं मिलती है। इस एक्ट में पीड़ित बच्ची या बच्चे के प्रोटेक्शन का भी प्रावधान हैं।

क्या है भारतीय दंड संहिता –

भारतीय दण्ड संहिता यानी भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा औ दण्ड का प्राविधान करती है। जहां यह जम्मू एवं कश्मीर और भारत की सेना पर लागू नहीं होती है। जम्मू एवं कश्मीर में इसके स्थान पर रणबीर दंड संहिता लागू होती है।

अंग्रेजों की देन है IPC –

भारतीय दण्ड संहिता यानी आईपीसी सन् 1862 में ब्रिटिश काल के दौरान लागू हुई थी। वही इसके बाद समय-समय पर इसमें संशोधन होते रहे है। विशेषकर भारत के स्वतन्त्र होने के बाद इसमें बड़ा बदलाव किया गया. पाकिस्तान और बांग्लादेश ने भी भारतीय दण्ड संहिता को ही अपनाया गया है। और लगभग इसी रूप में यह विधान तत्कालीन ब्रिटिश सत्ता के अधीन आने वाले बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, ब्रुनेई आदि में भी लागू कर दिया गया था।

LIVE TV