हेयरफॉल से हैं परेशान? हार्वर्ड ने बताया, क्यों गिरते हैं स्ट्रेस की वजह से बाल

स्ट्रेस ज़्यादा हो तो सब छोड़ कर चले जाते हैं, हमारे बाल भी। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों का भी यही मनना है। इस बात की पुष्टि करते हुए रिसर्चरों ने माना कि ज्यादा स्ट्रैस में रहने से पूरी तरह गंजे हो सकते हैं। नेचर जर्नल में प्रकाशित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की नई स्टडी कहती है कि स्ट्रैस हार्मोन बालों के फॉलिक्यूल को प्रभावित करता है जिससे रेस्टिंग फेज में गड़बड़ी पैदा होती है। चूहों पर रिसर्च करते हुए यह पाया गया कि स्ट्रैस हार्मोन की वजह रेस्टिंग फेज थम जाती है, जिससे सामान्य से ज़्यादा समय तक नए बालों का विकास थम जाता है।

बालों के विकास को समझने के लिए हेयर फॉल्यूकल की तीन स्टेज को समझना पड़ेगा। पहला ग्रोथ फेज-जिसमें नए बाल लगातार बनते रहते हैं। दूसरा रेस्टिंग फेज- जिसमें बाल गिरने से पहले कुछ समय तक इसी अवस्था में बरकरार रहते हैं और नए बाल नहीं उगते हैं। तीसरा डिजेनरेशन फेज- इसमें बाल गिरने से पहले बालों के नीच हेयर फॉल्यूकल सिकुड़ने लगता।

हेयरफॉल का सबसे बड़ा दुश्मन कार्टकोसेल है। एड्रीनल ग्लैंड से ही स्ट्रैस हार्मोन कार्टिकोस्टेरोन रिलीज होती है जिसके कारण बालों का गिरना तेज हो जाता है। शोधकर्ताओं ने बालों के विकास में एड्रीनल ग्लैंड के महत्व को समझने के लिए एक प्रयोग किया। शोधकर्ताओँ ने चूहों के शरीर से सर्जरी कर एंड्रीनल ग्लैंड को ही निकाल दिया, जिसके बाद देखा गया कि इन चूहों में रेस्टिंग फेज बहुत कम दिनों के लिए आया और बहुत जल्दी-जल्दी नए बालों का ग्रोथ होने लगा। लेकिन जब इन्हीं चूहों में कार्टिकोस्टेरोन की डोज दी गई तो बालों का ग्रोथ बहुत तेजी से घटने लगा।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने दूसरे प्रयोग में पाया कि बालों के फॉल्यूकल के नीचे एक तरह का डर्मल पैपिलिया सेल से स्ट्रैस हार्मोन चिपक जाता है, जो बालों की ग्रोथ को रोक देता है। इसकी वजह से फॉल्यूकल रेस्टिंग फेज में बहुत दिनों तक रह नहीं पाता और बाल सीधे गिरने लग जाते हैं।

LIVE TV