बड़ा खुलासा, हर तीन में से एक हार्ट पेशेंट फिर नहीं लौटता….

हृदयगति रुकनेजिन मरीजों को हृदयगति रुकने के बाद पहली बार अस्पताल में भर्ती कराया जाता है, उनमें हर तीन में एक मरीज एक साल बाद भी काम पर नहीं लौटता। एक अध्ययन में यह खुलासा किया गया है।

हृदयगति का रुकना मरीज के सामान्य जीवन जीने और स्वतंत्र रूप से रहने की क्षमता को बहुत घटा देता है।

डेनमार्क के कोपनहेगन युनिवर्सिटी अस्पताल के चिकित्सक रासमस रोएर्थ ने कहा, “हृदयगति रुकने का अस्पताल में भर्ती होने और मरने के अलावा असामान्य व अप्रत्यक्ष परिणाम यह है कि मरीज पूर्णकालिक तौर पर काम कर पाने में असमर्थ हो जाते हैं।”

निष्कर्ष से पता चलता है कि पहली बार हृदयगति रुकने से अस्पताल में भर्ती होने वाले 68 फीसदी मरीज एक साल बाद काम पर लौटे, 25 फीसदी नहीं लौटे, जबकि सात फीसदी की मौत हो गई।

युवा मरीजों (18-30 वर्ष) की अधिक उम्र वालों (51-60 वर्ष) की तुलना में काम पर लौटने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।

इसका कारण यह कहा जा सकता है कि युवा मरीजों को अस्वस्थता से जुड़े अन्य मुद्दे कम होते हैं। काम करते रहने की अधिक प्रतिबद्धता को भी इसका श्रेय दिया जा सकता है।

जिन मरीजों की शैक्षिक योग्यता अधिक होती है, उन्हें उन मरीजों की तुलना में काम पर लौटने की संभावना दोगुनी होती है, जो कम पढ़े-लिखे होते हैं।

रोएर्थ ने कहा, “इसका कारण यह हो सकता है कि उच्च शिक्षा वाले लोगों को शारीरिक श्रम की जरूरत काम में कम होती है। इसकी भी संभावना अधिक रहती है कि ज्यादा शिक्षित मरीज को काम के समय को लेकर लचीला रुख रहे।

इसके अलावा महिलाओं की तुलना में पुरुषों के काम पर लौटने की संभावना 24 फीसदी अधिक होती है।

रोएर्थ कहते हैं कि पुरुषों को आर्थिक एवं अन्य कारणों से काम पर आने के लिए अक्सर दबाव डाला जाता है। पुरुष के लिए काम से पहचान अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है।

इसके उलट उन मरीजों को काम पर लौटने की संभावना कम रहती है, जो सात दिन से अधिक अस्पताल में रहते हैं। इसके अलावा जिनका इतिहास दिल का दौरा पड़ने का रहता है, किडनी या फेफड़ों की पुरानी बीमारी है, मधुमेह या कैंसर है, वे भी काम पर नहीं लौट पाते।

इस अध्ययन में दिल की बीमारी से पीड़ित 18 से 60 साल तक के 11,880 मरीजों को शामिल किया गया। ये वैसे मरीज थे जो हृदय रोगी बनने से पहले काम करते थे।

रोएर्थ यह कहते हुए अपनी बात समाप्त करते हैं कि इस अध्ययन से बेरोजगार की आशंका वाले उन मरीजों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जिन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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