हुआ खुलासा : IL&FS ने मनमाने तरीके से बांटे करोड़ो का लोन…

गंभीर जालसाजी जांच कार्यालय (SFIO) ने अपनी जांच में पाया है कि IL&FS ने एबीजी ग्रुप को करीब 1080 करोड़ रुपये के 13 लोन बिना समुचित प्रक्रिया के दिए हैं. इसमें एबीजी ग्रुप के प्रमोटर को दिया 29 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन भी शामिल है.

लोन

SFIO ने अपनी जांच में पाया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) के शीर्ष प्रबंधन के निर्देश पर ये सभी लोन दिए गए.

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लेकिन इनमें ABG ग्रुप के प्रमोटर ऋषि अग्रवाल की पत्नी अनुपमा अग्रवाल को दिया गया 29 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन भी शामिल है. IL&FS ने इन लोन को देने के लिए जरूरी निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया.

 इस मामले में जबरदस्त मनमानी की गई. ABG ने IL&FS से कुछ लोन इसलिए लिया ताकि अपने खातों को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट यानी एनपीए बनने से रोक सके. ऋषि अग्रवाल की कंपनी  ABG को IL&FS साल 2010 से ही कर्ज दे रही थी और उस पर कुल कर्ज करीब 1,080 करोड़ रुपये का है. इस कर्ज को सितंबर 2018 में एनपीए घोषित किया गया.

गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने भी अपनी रिपोर्ट में चेताया था कि एबीजी इंटरनेशनल और ऑनवे इंडस्ट्रीज को दिए लोन में पर्याप्त सिक्योरिटी कवर नहीं लिया गया.

SFIO को पता चला है कि यह कर्ज 13 लोन खातों में दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि ABG ग्रुप के प्रमोटर ऋषि अग्रवाल की सीधे  IL&FS के तत्कालीन चेयरमैन रवि पार्थसारथी से ई-मेल का आदान-प्रदान होता था. यानी इस मामले में शीर्ष प्रबंधन की मिलीभगत थी.

इसके पहले अप्रैल में SFIO ने संकट IL&FS के पूर्व वाइस चेयरमैन हरि शंकरन को गिरफ्तार किया था. उन्हें धोखाधड़ी में शामिल होने तथा कंपनी तथा उसके कर्जदाताओं को नुकसान पहुंचाने के एवज में गिरफ्तार किया गया है. शंकरन को IL&FS तथा उसकी समूह इकाइयों के खिलाफ जारी जांच के संदर्भ में मुंबई में गिरफ्तार किया गया था.

शंकरन को IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज लि. में अपनी शक्तियों के दुरुपयोग को लेकर गिरफ्तार किया गया. उन पर आरोप है कि वह धोखाधड़ी में शामिल हुए और वैसी इकाइयों को कर्ज दिए, जो कर्ज देने लायक नहीं थे तथा उन्हें गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) घोषित किया गया. इससे कंपनी तथा उसके कर्जदाताओं को नुकसान हुआ.

IL&FS में वित्तीय अनियमितता का खुलासा तब हुआ जब पिछले साल समूह की कुछ कंपनियां कर्ज वापस करने में डिफाल्ट करने लगीं. इस डिफॉल्ट के चलते वित्तीय बाजार में उच्च स्तर की रेटिंग से गिरकर कंपनी को डिफॉल्ट रेटिंग दी गई है. सरकार ने कंपनी बोर्ड का टेकओवर कर लिया है और कंपनी को सुचारु तरीके से चलाने के लिए एक समाधान योजना पर काम कर रही है.

दरअसल  IL&FS ग्रुप 2012 की शुरुआत में गंभीर समस्याओं से घिर गया था. वहीं 2014 के आम चुनावों से पहले ही कंपनी के पास बड़ी संख्या में खटाई में पड़े प्रोजेक्ट्स एकत्र हो गए. सूत्रों ने दावा किया कि यूपीए की पॉलिसी पैरालिसिस के चलते खटाई में पड़े इन प्रोजेक्ट्स को डेट फाइनेंसिंग के जरिए जिंदा रखने का काम किया गया.

 

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