हुआ खुलासा , मलेरिया से हर साल 27 लाख मौतें, वर्ष 2030 तक इस बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य…

नई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 25 अप्रैल को वर्ल्ड मलेरिया डे के रूप में घोषित किया हैं। जहां आज भी यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में शीर्ष पर बना हुआ है। इससे पीड़ित मरीजों को समय से इलाज न मिले तो उनकी मौत तक हो जाती है। विश्व मलेरिया दिवस मनाने की शुरूआत 25 अप्रैल 2008 को हुई थी।
मलेरिया
बता दें की विश्व स्वास्थ्य संगठन के वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट-2017 के अनुसार, हर साल दुनिया भर में 50 करोड़ लोगों को मलेरिया होता है। इनमें से लगभग 27 लाख मरीजों की हर साल मौत हो जाती है। मृतकों में आधे से ज्यादा की उम्र पांच साल से छोटी होती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017 तक विश्व में मलेरिया के कुल मामलों में से 6 फीसदी मामले भारत में दर्ज किए गए। जबकि मलेरिया से हुई मौतों के मामले में भारत दक्षिण पूर्व एशिया में पहले स्थान पर रहा।

दरअसल भारत में हर साल एक करोड़ 80 लाख लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं। इसके रोकधाम के लिए भारत सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसके अलावा प्रत्येक जिला स्तर पर एक मलेरिया अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।
जो संबंधित जिले में सभी रोगियों पर नजर रखता है।  भारत सरकार ने फरवरी 2016 में मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क (2016-2030) को जारी किया था।
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। विश्व की 27 फीसदी मलेरिया पीड़ित लोग नाइजीरिया में रहते हैं। इस सूची में दूसरे स्थान पर अफ्रीका का ही कांगो गणराज्य काबिज है।
यहां वैश्विक आंकड़ों की 10 फीसदी मलेरिया पीड़ित आबादी है। जबकि तीसरे स्थान पर छह फीसदी आबादी के साथ भारत काबिज है। चौथे स्थान पर चार फीसदी मरीजों के साथ मोजांबिक और चार फीसदी के साथ घाना है।
वहीं भारत ने साल 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।
हालांकि विशेषज्ञों ने इसे नाकाफी बताया है। उनके अनुसार इस बीमारी की मॉनिटरिंग सिस्टम बहुत कमजोर है। मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रक्त रोग है। यह फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में संचरित होता है।

 

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