हुआ खुलासा ! नासा के सर्वर में हैकर ने लगाई सेंध, चोरी हुई मंगल अभियान की प्राप्त हुई विशेष जानकारी…

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस (नासा) ने अपने सर्वर के हैक होने की जानकारी दी है। नासा के महानिरीक्षक कार्यालय (ओआईजी) द्वारा इसी सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि अप्रैल 2018 में हैकर्स ने एजेंसी में अनाधिकृत रूप से एंट्री ली और मंगल मिशन से संबंधित डाटा चोरी की।

 

नासा

 

बतादें की रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर्स ने करीब 500एमबी डाटा चोरी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर्स ने एक छोटी-सी डिवाइस (रास्पबेरी पाई) के जरिए नासा के जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला (जेपीएल) के आईटी नेटवर्क में सेंध लगाई।

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वहीँ ओआईजी द्वारा प्रकाशित 49 पन्नों की रिपोर्ट में के मुताबिक हैकर ने जेपीएल नेटवर्क में जाने के लिए एक शेयर्ड नेटवर्क गेटवे का इस्तेमाल किया और इसके बाद हैकर उस नेटवर्क तक पहुंचा जहां मंगल अभियान से संबंधित जानकारी मौजूद थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर ने जेपीएल नेटवर्क में सेंध लगाने के लिए किसी बाहरी सिस्टम की भी मदद ली है।

जहां नासा के जेपीएल विभाग का मुख्य काम सौर मंडल में ग्रहों की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों और विभिन्न सैटेलाइट पर नजर रखना है। इसके अलावा जेपीएल नासा के डीएसएन यानी डीप स्पेस नेटवर्क को भी मैनेज करता है।

देखा जाये तो डीप स्पेस नेटवर्क, दुनियाभर में मौजूद सैटेलाइट डिश का नेटवर्क है जिसका इस्तेमाल नासा के अंतरिक्ष यान से सिग्नल भेजने और प्राप्त करने के लिए होता है।
खबरों  के मुताबिक जांचकर्ताओं ने कहा है कि जेपीएल के मिशन नेटवर्क तक पहुंचने के अलावा हैकर ने अप्रैल 2018 में जेपीएल के डीएसएन आईटी नेटवर्क तक भी अपनी पहुंच बनाई। वहीं हैकर ने जेपीएल और डीएसएन से कनेक्टेड कई और नेटवर्क को भी डिस्कनेक्ट कर दिया है। वहीं यह भी डर है कि हैकर कहीं मुख्य सर्वर में भी सेंध ना लगा दे।

दरअसलसाल 2018 के दिसंबर में अमेरिकी न्याय विभाग ने दो चीनी नागरिकों पर क्लाउड प्रोवाइडर, नासा और अमेरिकी नौसेना को हैक करने का आरोप लगाया था। विभाग ने कहा था कि ये दोनों नागरिक चीनी सरकार के है।

वहीं किंग यूनिट APT10 में शामिल हैं। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि अप्रैल 2018 की हैकिंग में भी APT10 टीम का ही हाथ हो सकता है। बता दें कि नासा ने दिसंबर 2018 में एक और हैकिंग की जानकारी दी थी जो अक्टूबर 2018 में हुई थी। इस हैकिंग में नासा के कर्मचारियों की निजी जानकारी चोरी हुई थी।

 

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