हुआ खुलासा! “आओ कभी हवेली पर” अमरीश पुरी ने नहीं किसी और ने कहीं ये बात…

अमरीश पुरी इंडिया के सबसे खूंखार विलेन में गिने जाते हैं. वो भी सिर्फ अपने टाइम में नहीं, ‘एवरग्रीन’ वाले सीन में भी मशहूर हैं. वहीं  हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने उनका काम देख अपनी फिल्म ‘इंडियाना जोन्स एंड दी टेंपल ऑफ डोम’ में काम दिया था. साथ ही कहा था –

 

हवेली

 

 

“अमरीश मेरे फेवरेट विलेन हैं. दुनिया में उनसे अच्छा विलेन न कभी हुआ है, न कभी होगा”.

 

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बतादें की अधिकतर फिल्मों में निगेटिव रोल करने वाले पुरी के जीवन में पॉजिटीव डायलॉग्स की भारी कमी रही है. बावजूद इसके उनके कई डायलॉग्स आज भी लोगों की ज़ुबान पर रहते हैं. कुछ डायलॉग्स तो ऐसे भी हैं, जिन्हें उनकी पर्सनैलिटी के साथ मैचकर खूब बेचा गया है, जबकि उन्होंने वो बोला भी नहीं है.

जहां पिछले दिनों ‘आओ कभी हवेली’ वाला मीम मार्केट में भयानक वायरल हुआ था. 1986 में आई फिल्म ‘नगीना’ में अमरीश पुरी ने सपेरे भैरवनाथ का रोल किया था. उनके इस किरदार की फोटो और साथ में ‘आओ कभी हवेली पर’ लिखकर इतना फैलाया गया कि लोगों ने इसे तकिया कलाम बना लिया. टी-शर्ट, कॉफी मग से लेकर लोगों के स्टेटस पर अमरीश पुरी के इस अनकहे डायलॉग ने कब्ज़ा कर लिया

दरअसल किसी से कोई काम हो, सब हवेली पर ही बुला रहे थे. अमरीश पुरी के किरदार की उस तस्वीर को देखकर एक समय के लिए आपको भी विश्वास हो जाएगा कि ये डायलॉग इसी आदमी ने बोला होगा. लेकिन ये गलत है.

वहीं अमरीश पुरी ने अपने पूरे करियर में ये कभी नहीं कहा.लेकिन इससे मिलता-जुलता एक डायलॉग परेश रावल ने बोला था. फिल्म ‘दिलवाले’ में. जब सुनील शेट्टी पुलिस हेडक्वॉर्टर में परेश से कुछ पूछते हैं, तो जवाब में परेश रावल कहते हैं- ‘हवेली पे आ जाना’. परेश रावल का वो डायलॉग आप यहां सुन सकते हैं-

2 – “जा सिमरन जा, जी ले अपनी ज़िंदगी”

ये आपको बहुत क्लीशे लग सकता है, लेकिन 1995 में आई ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के इस डायलॉग ने अमरीश पुरी को जनता के बीच अमर कर दिया. या यूं कहें कि अमरीश पुरी ने इस डायलॉग को अमर कर दिया.

 

3 – “जो ज़िंदगी मुझसे टकराती है, वो सिसक-सिसककर दम तोड़ती है”

1990 में ‘घायल’ का बलवंत राय अपने आगे के करियर में भी इस डायलॉग जितना ही प्रासंगिक रहा.

4 – “इतने टुकड़े करूंगा कि पहचाना नहीं जाएगा”

लेकिन हद तो तब हो गई, जब अशरफ अली की इस धमकी के बावजूद तारा सिंह अपनी जगह से नहीं हिला और उसका ‘गदर’ (2001) ज़ारी रहा.

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