हेलीकॉप्टर्स के लिए यमराज यहां करते है इंतज़ार, मौका मिलते ही पलभर में…

हीरे की खदान मिरनी माइनदुनिया में कई हीरे की खाने हैं, जहां से बेहिसाब हीरे निकलते हैं. ऐसी ही एक हीरे की खान है, जिसे दुनिया में हीरे की सबसे बड़ी खदान कहा जाता है. लेकिन यहां से गुजरने वाले हेलीकॉप्टर्स क्रैश जाते हैं. यह पूर्वी साइबेरिया में बसी सबसे बड़ी हीरे की खदान मिरनी माइन है.

इस विशाल खान के ऊपर से गुजरने वाले हेलीकॉप्टर अक्सर गिर जाते हैं. ऐसा हवा के दबाव के कारण होता है. यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मानव निर्मित होल है. पहले नंबर पर ‘बिंघम कॉपर माइन’ है.

इस खदान से हर साल 10 मिलियन कैरेट हीरा निकाला जाता था.

हीरे की खदान मिरनी माइन पर…

इसके बाद हेलीकॉप्टर्स के गुजरने पर पाबंदी लगा दी गई. साल 2011 में इस खदान को पूरी तरह बंद किया जा चुका है.

यह खान 1722 फीट गहरी और 3900 फीट चौड़ी है.

इस माइन के विकास का कार्य 1957 में शुरू किया गया था.  यहां पूरे साल के मौसम बेहद खराब रहता है.

सर्दियों में सबसे ज्यादा मुश्किलें सामने आती हैं. तापमान इतना गिर जाता है कि गाड़ियों में तेल भी जम जाता है और टायर फट जाते हैं. इसे खोदने के लिए कर्मचारियों ने जेट इंजन और डायनामाइट्स का इस्तेमाल किया था. रात के समय इसे ढक दिया जाता था, ताकि मशीनें खराब ना हो जाएं.

इस खदान की खोज के बाद रूस हीरे का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश बन गया था.

इसकी खोज 13 जून, 1955 को सोवियत भूवैज्ञानिकों की टीम ने खोजा था. इसे खोजने वाले दल में यूरी खबरदिन, एकातेरिना एलाबीना और विक्टर एवदीनको शामिल थे.

इसकी खोज करने के लिए सोवियत जियोलॉजिस्ट यूवी खबरदीन को 1957 में लेनिन प्राइज दिया गया था.

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