मिल्‍कमैन के बॉक्सर बेटे ने जीता सिल्वर मेडल

हिसार हिसार । दूध बेचकर परिवार का पेट पालने वाले पिता के लिए रविवार का दिन अहम था। जिले की सीमा में अपने आप को समेट कर रखने वाले मिल्कमैन सुखबीर का बेटा बॉक्सर आशीष देश की सीमाओं से बाहर जाकर कजाकिस्तान में अपने बॉक्सिंग के जौहर दिखा रहा था।

हिसार से निकला आशीष

हालांकि एशियन यूथ चैंपियनशिप के फाइनल में गोल्ड नहीं जीत पाने के कारण परिवार को निराशा हाथ लगी, लेकिन परिवार के हौसले बुलंद हैं। कैमरी रोड स्थित माल कॉलोनी के रहने वाले आशीष कुलड़िया ने एशियन यूथ चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया है। फाइनल मुकाबले में कजाकिस्तान के खिलाड़ी से कड़े संघर्ष में उन्हें शिकस्त मिली।

कुश्ती से बॉक्सिंग में आए आशीष जब 10 साल के थे तभी से रिंग में कड़ा अभ्यास कर रहे हैं। सब जूनियर से लेकर नेशनल और अब यूथ चैंपियनशिप तक करीब डेढ़ दर्जन से अधिक गोल्ड हासिल कर चुका यह खिलाड़ी बचपन में कुश्ती का भी खिलाड़ी रहा है।

आशीष के पिता ने बताया कि जब से साई में चयन हुआ है, वह घर पर कम ही रहता है। कई-कई दिनों तक कैंपों में रहता है। उसने आठ साल की उम्र में अखाड़ा ज्वाइन कर लिया था। इसके बाद 10 साल की उम्र में पास के ही एक प्राइवेट एकेडमी में बॉक्सिंग का अभ्यास करना शुरू कर दिया।

चौदह साल की उम्र में वह साई में बाक्सिंग खेलने लगा और नेशनल लेवल का खिलाड़ी बन गया। इसके बाद एक के बाद एक प्रतियोगिताएं जीती। वर्तमान में वह 64 किलोग्राम भार वर्ग में खेल रहा है।

बॉक्सर जयभगवान ने किया प्रेरित

अठारह साल के आशीष के पिता सुखबीर कुलड़िया ने बताया कि वे उसे पहलवान बनाना चाहते थे। आठ साल की उम्र में ही अखाड़े में भेजने लगे थे। करीब दो साल तक कुश्ती की और स्कूली जूनियर प्रतियोगिता में मेडल जीते। बाद में पड़ोस में ही रहने वाले ओलंपिक खिलाड़ी बॉक्सर जयभगवान ने उसे बाक्सिंग के लिए प्रेरित किया। जयभगवान उसे अपने साथ अभ्यास कराने के लिए ले जाते थे। जयभगवान से उसने बहुत कुछ सीखा है।

पढ़ाई में अव्वल

आशीष पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रहा है। उसने दसवीं कक्षा में 78 प्रतिशत और बारहवीं में 75 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे। वर्तमान में आशीष राजकीय महाविद्यालय हिसार से बीए कर रहा है।

दूध, चूरमा और खीर का शौकीन आशीष की मां संतोष गृहिणी हैं। उन्होंने बताया कि आशीष को खीर सबसे ज्यादा पसंद है। वह रोटी कम खाता है लेकिन बचपन से ही दूध खूब पीता है। इसके अलावा चूरमा भी उसके पसंदीदा खाने में से एक है।

इन मुख्य प्रतियोगिताओं में जीता गोल्ड

आशीष ने पिछले आठ सालों में दर्जन भर से अधिक अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं के जूनियर और सब जूनियर ग्रुप में गोल्ड मेडल जीते हैं। यूक्रेन में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप और साइप्रस में भी वह अपने मुक्कों का जौहर दिखा चुका है।

हाल ही में आशीष ने आंध्रप्रदेश के हैदराबाद में हुई यूथ मेन ऑल इंडिया बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। 2015 में हुई इंटर स्टेट यूनिवर्सिटी में गोल्ड और 2014 में कर्नाटक के बेल्लारी में हुई पाइका नेशनल गेम में गोल्ड जीता था। इससे पहले 2011 में चंडीगढ़ में हुई स्टेट सब जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। आशीष मेरा सब जूनियर रहा है। इस मेहनती खिलाड़ी की बॉक्सिंग खेलने की तकनीक अच्छी है। मुझे लगता है कि वह अपने वजन में अंतरराष्ट्रीय स्तर का बेहतरीन खिलाड़ी है। सबसे बड़ी बात है कि वह जिस गुरु की शरण में खेल रहा है। मैं भी उन्हीं महेंद्र सिंह ढाका का शिष्य रहा हूं।

प्रस्‍तुति – जितेन्द्र गिरी

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