हिमाचल की देवभूमि में स्थानीय लोग बने पर्यावरण के रक्षक

देवभूमि हिमाचल में देवताओं के प्रति लोगों की आस्था पर्यावरण की रक्षक बनी हुई है। देवभूमि में यूं तो अक्सर ही अवैध कटान के मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन हिमाचल के कुछ हिस्सों में ऐसे भी जंगल हैं, जहां लोग न पेड़ काटते हैं और न पर्यावरण से छेड़छाड़ करते हैं।
हिमाचल की देवभूमि

इसके पीछे लोगों की देव नीति और देवताओं के प्रति आस्था मुख्य कारण है। जानकारों का कहना है कि देवताओं के जंगल में अगर कोई व्यक्ति पेड़ काटता है तो देव समाज उस पर भारी जुर्माना लगाता है।

परंपराओं की बदौलत कई जंगल अभी भी अनछुए

आस्था के चलते लोगों को जुर्माना और सजा स्वीकार करनी पड़ती है। देवताओं की व्यवस्था का ही नतीजा है कि इन जंगलों में सदियों पुराने पेड़ भी मिल जाते हैं।

प्रदेश के शिमला और कुल्लू में करीब एक दर्जन ऐसे जंगल हैं जो कहने को तो सरकार के अधीन हैं लेकिन यहां हर गतिविधि देवताओं की अनुमति के बाद ही होती है।

पीसीसीएफ अजय कुमार बताते हैं कि आस्था और सालों से चली आ रही परंपराओं की बदौलत कई जंगल अभी भी अनछुए हैं। इसी आस्था से वहां लोग खुद ही गलत काम करने से बचते हैं।

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