हाथियों के आतंक से किसानों में भय का माहौल, हाथियों ने एक किसान को कुचल के उतारा मौत के घाट

Report – Faheem Khan/Rampur

यूपी के रामपुर में  पीपली वन क्षेत्र में पहली बार जंगली हाथियों की चिंघाड़ गूंजने से क्षेत्र में दहशत का माहौल है। हाथियों ने हमला करके एक मजदूर को मौत के घाट उतार दिया, जबकि एक किसान गंभीर घायल है।

ग्रामीणों की दहशत और हाथियों के उग्र रुख को देखते हुए वन विभाग के कर्मचारी क्षेत्र में मौजूद रहकर उनके मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। हाथियों को भगाने के लिए वन कर्मियों ने फायरिंग भी की है।

किसान की मौत

नेपाल से पीलीभीत, बरेली, बहेड़ी, उत्तरखंड होते हुए दो नर हाथी रामपुर के पीपली वन में पहुंच गए। गजराज पहली बार रामपुर के जंगलों में आए हैं। गजराज की चिंघाड़ से पीपली वन में दहशत है। दोनों हाथियों का कई घंटे तक रेलवे ट्रैक के आसपास मौजूदगी रही। इसके चलते ट्रेनें धीमी गति से हार्न बजाते हुए गुजरीं इसके अलावा वन विभाग के कर्मचारियों ने हवाई फायरिंग भी की।

पीपली वन में दो नर हाथियों के आने की सूचना वन विभाग को शुक्रवार की रात मिल गई थी। डीएफओ एके कश्यप ने बताया कि सूचना मिलने पर टीम को हाथियों की रेकी करने के लिए लगा दिया गया था।

शनिवार की रात दोनों हाथी रुद्र बिलास चीनी मिल के पीछे देखे गए। दोनों हाथी नेपाल से चलकर रामपुर पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि हाथियों के हमले से एक बिहारी मजूदर की मौत हो गई है। हाथियों को भगाने के लिए वन विभाग की टीमें क्षेत्र में मौजूद रहकर कार्य कर रही हैं।

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23 जून की देर रात नेपाल-भारत सीमा पर नर-मादा हाथी का एक जोड़ा शारदा बांध को पार कर चारे की तलाश में खटीमा की सुरई रेंज के जंगल में घुसा था। यहां से दोनों रास्ता भटककर यूपी की ओर निकल गये थे।

दोनों हाथी उत्तराखंड में कलक्टर फार्म, पोलीगंज से होते हुये करीब 25 किलोमीटर दूर पीलीभीत के अमरिया पहुंच गये थे। वहां उन्होंने तीन एकड़ से अधिक गन्ने की फसल नष्ट कर डाली थी।

24 जून की रात अमरिया से यूपी के वनकर्मियों ने दोनों हाथियों को खदेड़कर उत्तराखंड-यूपी की सीमा के जंगलों में छोड़ दिया था। यहां से 25 जून को दोनों हाथी उत्तराखंड में सितारगंज के सरकड़ा में घुस गये थे। इंदरपुर गांव में हाथियों का जोड़ा घुसा है, माना जा रहा है कि ये खटीमा से भटके हाथी ही हैं।

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26 जून की रात दोनों हाथी सितारगंज के सरकड़ा से निकले और फिर यूपी की ओर निकल गये। दोनों हाथी 27 जून की सुबह बहेड़ी क्षेत्र में पहुंचे और वहां गोठिया भट्ठी गांव में घुसकर गन्ने के खेतों को तहस-नहस कर दिया था।

इस दौरान किसान लाखन सिंह (35) पुत्र छोटेलाल अपने खेत में पहुंचे तो हाथियों ने उन्हें कुचल दिया। ग्रामीण और परिजन गंभीर हालत में लाखन को बहेड़ी अस्पताल ले गये। वहां से उन्हें हायर सेंटर रेफर किया गया, लेकिन अस्पताल जाते वक्त उन्होंने दम तोड़ दिया। अब हाथियों के हमले में मौत का यह दूसरा मामला है।

रेलने लाइन की दूसरी ओर गन्ने के खेत में हैं दोनों हाथी,रामपुर-काठगोदाम रेलवे लाइन के दूसरी ओर गन्ने के खेत में दोनों हाथी हैं। जहां उनके पीने के लिए पानी एवं खाने के गन्ना पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। वन विभाग की टीम फायरिंग कर दिन में ही हाथियों को यूपी से बाहर कर देना चाहती है। ताकि, किसी की जान को खतरा नहीं बन जाए।

वन्य जीव द्वारा किसी की मृत्यु हो जाना प्राकृतिक आपदा है। मरने वाले के परिजनों को उनके द्वारा क्लेम करने पर पांच लाख तक का मुआवजा मिलता है। मरने वाले बिहार के व्यक्ति की शिनाख्त नहीं हो पा रही है।

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