हाईकोर्ट ने कहा- दुष्कर्म के बाद विवाह करने से खत्म नहीं हो जाता है अपराध, नहीं दी जा सकती राहत
हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता से विवाह के बाद भी आरोपी को राहत प्रदान करने से इनकार किया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि दुष्कर्म का अपराध गंभीर मामला है। इसी के साथ कहा पुरुष और महिला के बीच घटना के बाद विवाह होने पर दुष्कर्म का अपराध खत्म नहीं हो सकता है।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने 28 जुलाई को दिए गए निर्णय में आरोपी के उस तर्क को खारिज कर दिया कि महिला ने भ्रम में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी कि उसके साथ होटल में जबरन दुष्कर्म किया है। अब दोनों ने विवाह कर लिया है और खुशी से रह भी रहे हैं। इसी के साथ अपील की गयी थी कि धारा 376 और 506 के तहत दर्ज की गयी प्राथमिकी को रद्द किया जाए।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पीड़िता व आरोपी के बीच विवाह होने के बाद अपराध माफ नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि आईपीसी की धारा 376 दंडनीय गंभीर अपराध है। यह दोनों पक्षकारों के बीच समझौते के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता है।