यूपी : मरीजों की मौत के जिम्‍मेदार डॉक्‍टरों के लाइसेंस रद होंगे

हाईकोर्टलखनऊ। जूनियर डॉक्‍टरों के हड़ताल पर चले जाने से मेडिकल कॉलेज में हुई मरीजों की मौत पर शुक्रवार को हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने और कड़ा रुख अख्तियार किया। हाईकोर्ट ने राज्‍य सरकार को मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया। यही नहीं हड़ताली डाक्‍टरों पर शिकंजा कसने के लिए हाईकोर्ट ने एक जांच कमेटी भी बनाई है, जो यह जांच करेगी कि किस-किस डॉक्‍टर की लापरवाही से मरीजों की मौत हुई। साथ ही कमेटी डॉक्‍टरों का लाइसेंस रद करने व अन्‍य कार्रवाई की सिफारिश भी करेगी।

इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट की सख्‍ती के बाद ही डॉक्‍टरों की हड़ताल खत्‍म हुई थी। हाईकोर्ट की सख्‍ती के बाद कनिष्ठ चिकित्सकों ने तय किया कि वह उत्तर प्रदेश पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एंट्रेंस (यूपीपीजीएमई) के विरोध के बीच काम भी जारी रखेंगे। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक तीन दिनों में हड़ताल की वजह से 7 मरीजों की मौत हो गई। लखनऊ पीठ ने गुरुवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता बुलबुल गोडियाल को तलब कर प्रदेश सरकार से चार बजे तक हड़ताली चिकित्सकों की सूची मांगी थी। अदालत ने यह भी जानकारी मांगी कि पिछले 10 वर्षो के भीतर सरकार ने कनिष्ठ चिकित्सकों पर क्या-क्या कार्रवाई की है।

हाईकोर्ट ने पूछा, जिम्‍मेदारों क्‍या कार्रवाई हुई ?

अदालत ने यह भी पूछा कि गरीब मरीजों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर क्या कार्रवाई हुई है। इस मामले में राज्य सरकार ने जूनियर डॉक्टरों पर कार्रवाई की रिपोर्ट भेज दी है।

लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के साथ ही ट्रामा सेंटर तथा आगरा व गोरखपुर में जूनियर डॉक्टर्स यूपीपीजीएमई काउंसिलिंग के खिलाफ हड़ताल पर थे।

हाईकोर्ट के सख्त होने के बाद चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक की कनिष्ठ चिकित्सकों से बातचीत के बाद हड़ताल समाप्त हो गई।

हड़ताल की वजह से केजीएमयू में इमरजेंसी और ओपीडी सेवाएं देख रहे वरिष्ठ चिकित्सक बगैर रेजीडेंट के असहाय नजर आए। बहुत गंभीर मरीजों को ही वरिष्ठ डॉक्टरों ने हाथ लगाया।

अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, मरीजों को हड़ताल का हवाला देकर लौटाया जाता रहा। करीब दो हजार मरीज लौटाए गए। 20 से ज्यादा ऑपरेशन टले। भर्ती मरीजों का भी बुरा हाल है। उनका इलाज सिर्फ नर्सो के भरोसे चल रहा है।

यूपीपीजीएमई में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चिकित्सकों को 30 फीसदी अंकों की वरीयता देने को लेकर रेजीडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के चलते केजीएमयू में इलाज की व्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर गई है।

केजीएमयू प्रशासन ने पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) में प्रवेश को लेकर चल रही दिक्कतों से निपटने के लिए कार्य परिषद और शैक्षिक परिषद की आपात बैठक बुलाई थी। इसमें तय किया गया कि केजीएमयू अपने पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों एमडी व एमएस का सत्र एक महीने बाद शुरू करेगा। हालांकि इसकी तिथि तय नहीं की गई।

कुलपति प्रो. रविकांत ने भी इसका आदेश जारी किया। माना जा रहा है कि केजीएमूय प्रशासन 1 जुलाई को उच्चतम न्यायालय में होने वाली सुनवाई का इंतजार कर रहा है। इस सुनवाई से उन्हें उम्मीद है कि फ्रेशर छात्र-छात्राओं को वापस उनकी सीटें मिल जाएंगी।

प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने भी चिकित्सकों से अपील की थी कि मरीजों की परेशानी को देखते हुए वह हड़ताल वापस ले लें। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव को भी पत्र लिखा था।

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