हर हर महादेव के जयकारे से शुरू हुआ आस्था का 118 किमी लंबा सफर

Panchkroshi-Yatra_57246e4b6bebcएजेंसी/ उज्जैन : अपने सिर पर धान्य और आटे की पोटली रखकर आस्थावान कड़ी धूप में चल पड़े हैं। पैर केवल शिवालय की ओर चल रहे हैं। कामना है तो बस भगवत् दर्शन की। जी हां, उज्जैन में परंपरागत तौर पर की जाने वाली आस्था की 118 किलोमीटर लंबी पंचक्रोशी यात्रा अपने तय समय से पहले ही प्रारंभ हो गई। बड़ी संख्या में ग्रामीण शिप्रा नदी के घाटों की ओर एकत्रित हुए।

ग्रामीणों ने अपनी यात्रा की शुरूआत श्री महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र से कुछ दूर, पटनी बाजार क्षेत्र में स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव में पूजन कर की। यहां से श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए नागनाथ का बल लिया और फिर कारवां चल पड़ा। उल्लेखनीय है कि यह यात्रा प्रतिवर्ष वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी से प्रारंभ होती है। जो कि अमावस्या तिथि पर समाप्त होती है।

इस बार यह यात्रा 1 मई से प्रारंभ होने जा रही है लेकिन उम्मीद के अनुसार श्रद्धालु विभिन्न पड़ावों की ओर पहले ही निकल गए हैं। उन्होंने अपनी यात्रा को पहले ही प्रारंभ कर दिया है। इस यात्रा के माध्यम से वे प्राचीन उज्जयिनी के चारों क्षेत्रों में स्थित महादेव मंदिरों को दर्शन करेंगे। ये मंदिर 84 महादेव में शामिल मंदिरों में से हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को महत्वपूर्ण शिवलिंगों के दर्शनों का लाभ मिल जाएगा।

उल्लेखनीय है कि यह एक तरह से नगर की और श्री महाकालेश्वर की परिक्रमा भी है। प्राचीन उज्जयिनी के श्री महाकाल वन में प्रतिष्ठापित इन शिवलिंगों में पूर्व में पिंगलेश्वर, पश्चिम में बिल्वेश्वर, दक्षिण में कायावहरोणेश्वर और उत्तर में दुद्र्धेश्वर हैं। श्रद्धालु पिंगलेश्वर, कायावहरोणेश्वर, बिल्वेश्वर और दुद्र्धेश्वर के दर्शन कर इस यात्रा का समान करते हैं। मार्ग में त्रिवेणी, नलवा आदि उप पड़ाव भी आते हैं।

यह यात्रा काफी लंबी होती है। जिसके कारण श्रद्धालु शिप्रा नदी के घाटों पर स्नान, पूजन करते हैं और उपपड़ावों, शिप्रा नदी के किनारों पर दाल बाटी तैयार कर उनका सेवन करते हैं। इस दौरान कुछ श्रद्धालु दिन में चलते हैं तो कुछ सुबह और शाम को। रात्रि में भजन और कीर्तन का दौर भी होता है।

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