स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की तैयारियां हुई तेज, मोदी के इस अभियान ने नए मिशन को दिया जोर, जानें…

रिपोर्ट लोकेश टंडन

मेरठ।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभियान है स्वच्छ भारत मिशन और इस मिशन को लेकर पूरे देश में स्वच्छ सर्वेक्षण की तैयारियां चल रही है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 की तैयारी करते-करते मेरठ कैंटोनमेंट बोर्ड ने एक नए मिशन की शुरुआत की है और इस मिशन का नाम है मिशन पिंक। आइए आपको दिखाते हैं कि आखिर क्या है यह मिशन पिंक…. पेश है मेरठ से लोकेश टंडन की है खास रिपोर्ट…….

सबसे पहले आपको बताते हैं मिशन पिंक के बारे में… ये मिशन है एक चौथाई आबादी के लिए। जी हाँ आप सोच रहे होंगे कि अभी तक आधी आबादी के बारे में सुना था लेकिन ये एक चौथाई आबादी कौन है तो सुनिए… जो महिलाएं अपना सेनेटरी पैड सड़कों पर या नालियों में फेंक देती थी या फिर उनको गीले और सूखे कूड़े में मिला दिया जाता था। मिशन पिंक के तहत अब उस सेनेटरी पैड का अलग से निस्तारण किया जाएगा क्योंकि इस सेनेटरी पैड की वजह से महिलाओं को शर्मिंदगी का सामना तो करना ही पड़ता था और साथ ही बीमारियों से भी रूबरू होना पड़ता था। इसके अलावा जब कैंटोनमेंट बोर्ड के सफाई कर्मचारी डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करते थे तो महिलाएं सेनेटरी पैड कभी सूखे कूड़े में मिला दिया करती थी तो कभी गीले कूड़े में और जो सफाई कर्मचारी होते थे वह भी स्कूले को हाथ से स्पर्श करते थे।

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जिसके बाद उन्हें भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता था। यही सब देखते हुए कैंटोनमेंट बोर्ड इंजीनियर पीयूष गौतम ने सोचा कि इस तरह तो यह सेनेटरी पैड लोगों के लिए घातक साबित हो सकते हैं। उनके दिमाग में आईडिया आया कि क्यों ना सेनेटरी पैड को पिंक वेस्ट का नाम दिया जाए और इसके लिए महिलाओं को जागरूक कर उनसे पिंक वेस्ट को अलग से पिंक डस्टबिन में डालने की बात कही जाए। जिसके बाद कैंटोनमेंट बोर्ड मीटिंग की और उसमें कई एनजीओ ने भी भाग लिया तो वहीं इस मिशन के 2 आयाम निकल कर सामने आए।

पहले तो कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा मिशन की शुरुआत करते हुए पिंक वेस्ट के लिए अलग से पूरा एक सिस्टम बनाया गया जिसमें सफाई कर्मचारियों को उनकी सुरक्षा के सारे उपकरण मुहैया कराते हुए उनको अलग से एक पिंक डब्बा दिया गया। जिसमें वह घर घर जाते हैं और महिलाओं से पिंक वेस्ट कलेक्शन करते हैं। सफाई कर्मचारी इलाकों में जाते हैं और सीटी बजाते हैं जिसके बाद महिलाएं खुद पिंक लिफाफे में या पिक डस्टबिन में वेस्ट लेकर आती है और सफाई कर्मचारियों के पिंक डब्बे में डाल देते हैं। इसके बाद सफाई कर्मचारी सीधा यह सारा कलेक्शन भैंसाली ग्राउंड के पास बने हुए पिंक स्टोर पर ले जाते है और यहाँ से सीधा इसको मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट भेज दिया जाता है।

तो वहीं दूसरा आयाम है जागरूकता। जागरूकता को लेकर तमाम एनजीओ सामने आई हैं और वह डोर टू डोर जाकर महिलाओं को इस मिशन के प्रति जागरुक कर रही हैं। इस मिशन के पहले दिन तो 15 किलो पिंक वेस्ट इकट्ठा किया गया लेकिन दो-तीन दिन बाद ही गे वेस्ट बढ़कर डेढ़ सौ से 200 किलो प्रति दिन इकट्ठा होने लगा.

इस मिशन की सच्चाई जानने के लिए हमारे संवाददाता लोकेश टंडन ने कैंटोनमेंट बोर्ड के जुबली गंज इलाके में पहुंचकर ग्राउंड जीरो से इसकी पड़ताल की। लोकेश टंडन जुबली गंज पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वहां पर मौजूद सफाई कर्मचारी अपना कूड़े का ठेला लेकर आता है और उस ठेले में तीन पार्टीशन किए हुए हैं। गीले कूड़े के लिए हरा, नीला डिब्बा सूखे कूड़े के लिए तो पिंक डब्बा पिंक वेस्ट के लिए। जब यह कर्मचारी इलाके से निकलते हैं और सीटी बजाते हैं तो महिलाएं अपने घरों से पिंक लिफाफे में या पिंक डस्टबिन में पिंक वेस्ट लेकर आती हैं और इस पिंक डब्बे में डाल देती हैं। वहां मौजूद महिलाओं से भी हमारे संवाददाता ने बात की तो महिलाओं का कहना है कि वास्तव में कैंटोनमेंट बोर्ड की यह पहल काबिले तारीफ है क्योंकि जब यह सेनेटरी पैड नाली में या सड़कों पर होते हैं तो उनको जानवर इधर से उधर खींचते हैं और यह वातावरण को प्रदूषित भी करता है और छोटे बच्चों में बीमारी का डर भी रहता है इसके अलावा जब महिलाएं सेनेटरी पैड काली पॉलिथीन में लेकर घर से निकलती हैं और जब उनसे कोई पूछता है कि इसमें क्या है तो उनको बड़ी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब पिंक लिफाफा या पिंक डस्टबिन जब वह कैंटोनमेंट बोर्ड के पिंक डब्बे में डालते हैं तो उनको बिल्कुल भी झिझक नहीं होती और इनका कहना है कि इसके जरिए उनका परिवार बीमारियों से भी दूर रहेगा.

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इसके बाद लोकेश टंडन सीधे भैंसाली ग्राउंड पहुंचे जिसके पास इस पिंक वेस्ट को इकट्ठा करने के लिए पिंक कलेक्शन प्वाइंट बनाया गया है। यहां पर भी यह सब पूरी टीम की निगरानी में होता है। सेनेटरी इंस्पेक्टर को यहां का इंचार्ज बनाया गया है जबकि 2 सफाई कर्मचारियों की ड्यूटी भी यहां लगाई गई है जो डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन करके लाने वाले सफाई कर्मचारियों से पिंक वेस्ट लेकर इस स्टोर में रख देते हैं। जिसके बाद यह सारा पिंक वेस्ट मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में चला जाता है जहां पर इसका निस्तारण किया जाता है। यहां पर मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों से भी हमारे संवाददाता लोकेश टंडन ने बात की और इस पूरी प्रक्रिया के बारे में जाना और साथ ही सफाई कर्मचारियों से जाना कि उनको भी क्या-क्या सुविधाएं कैंटोनमेंट बोर्ड दे रहा है.

 

 

 

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