अजान विवाद में फंसे सोनू को निकालने के लिए उस्‍ताद मुस्‍तफा ने बढ़ाया हाथ, कहा- सही है…

सोनू के गुरुमुंबई। बॉलीवुड के गलियारों से उठी एक आवाज, जिसने पूरे देश में एक विवाद को हवा दे दी। उस मामले में एक नया मोड़ आया है। बात कर रहे हैं अजान विवाद पर गायक सोनू निगम द्वारा किए गए ट्वीट की। इस ट्वीट में उन्होंने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का विरोध किया था। इस मामले में सोनू के गुरु (जो खुद मुस्लिम हैं) उस्‍ताद गुलाम मुस्‍तफा ने उनका न केवल साथ दिया बल्कि उनके मन्तव्य को समझा और सही करार दिया।

सोनू के गुरु ने दिया साथ

मामले के बार में अगर विस्तार से समझें कि आखिर ये विवाद इतना क्यों बड़ा बन गया जबकि उन्होंने तो बस अपने मन की बात दुनिया के सामने रखी थी।

बता दें उनके लिखने का अंदाज इस मामले में थोड़ा घातक हो गया जिसके कारण वे एक वर्ग विशेष यानी मुस्लिमों के निशाने पर आ गए।

इस मामले में भले ही मुस्लिम पक्ष ने उन्हें लाख बुरा भला कहा हो, लेकिन वे अपनी बात पर टिके रहे। उन्होंने हर बार अपनी बात रखी और अपने लिखे हुए शब्दों को सही ढंग से समझाने की कोशिश की।

सोनू को मौसिकी की तालीम देने वाले उस्‍ताद गुलाम मुस्‍तफा खान ने ट्वीट कर कहा है कि ‘वो (सोनू) सबका सम्‍मान करता है।’

खान ने ट्विटर पर लिखा, ”मीडिया लगातार मुझसे संपर्क करके सोनू निगम ट्वीट के बारे में मेरी राय जानना चाह रहा है। वह मेरा स्‍टूडेंट है और मेरे बेटे की तरह है।

उन्होंने कहा, “मैं उसे जानता हूं, वह किसी को चोट नहीं पहुंचाएगा। वह सबका सम्‍मान करता है। उसकी बातों का गलत मतलब न निकाला आए और धर्म को बीच में न लाया जाए। वह मंदिर और गुरुद्वारे जैसी धार्मिक जगहों पर लाउडस्‍पीकर के इस्‍तेमाल पर भी सवाल उठाता है जो कि शब्‍दों की सीमा के चलते एक ट्वीट में पोस्‍ट नहीं किया जा सकता, जैसे मैं कई ट्वीट्स में पोस्‍ट कर रहा हूं। और यदि सबको लगता है कि उसने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है तो उन्‍हें सफाई के बाद माफ कर देना चाहिए। शांति बनाए रखें और सबसे ऊपर इंसानियत रहने दें।”

सोनू निगम ने 17 अप्रैल को अपने ट्वीट्स में धार्मिक स्‍थलों पर लाउडस्‍पीकर के प्रयोग को ‘गुंडागर्दी’ करार दिया था।

उन्‍होंने ट्वीट्स में कहा, “ईश्‍वर सबका भला करे। मैं मुस्लिम नहीं हूं और मुझे सुबह अज़ान के चलते उठना पड़ता है। भारत में यह जबरन धार्मिकता कब खत्‍म होगी? जब मोहम्‍मद ने इस्‍लाम बनाया तब बिजली नहीं थी। एडिसन के बाद भी मुझे यह शोर क्‍यों सुनना पड़ता है?”

सोनू ने अपनी बात में आगे लिखा था कि मैं किसी मंदिर या गुरुद्वारे द्वारा उन लोगों को जगाने के लिए बिजली के उपयोग को जायज नहीं मानता जो धर्म पर नहीं चलते। फिर क्‍यों? ईमानदारी? सच्‍चाई? गुंडागर्दी है बस।

सोनू के इन ट्वीट्स पर विवाद हो गया। मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं के सोनू के बयान की निंदा की।

पश्चिम बंगाल के एक मौलवी सैयद शा अतेफ अली अल कादरी ने सोनू के खिलाफ बयान भी जारी कर दिया।

उन्‍होंने कहा कि ‘अगर कोई सोनू निगम का सिर मूंड दे और उसके गले में फटे-पुराने जूतों की माला पहनाए, उसे देशभर में घुमाए तो वह उसे 10 लाख रुपए देंगे।’

मौलाना के इस बयान के प्रतिउत्तर में सोनू ने बुधवार (19 अप्रैल) को दोपहर दो बजे प्रेस कॉन्‍फ्रेंस बुलाई। कांफ्रेंस में उन्होंने खुद अपने बालों का बलिदान दे दिया। लिहाजा मामला बनने की जगह और बिगड़ता गया।

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