कला और संस्कृति का बेजोड़ संगम है सूरजकुंड मेला, एक फरवरी से होगी शुरुआत

सूरजकुंड मेलेहम चाहे कितने भी आधुनिक क्यों न हो जाएं लेकिन अपनी संस्कृति और पहनावे से कभी भी दूर नहीं जा सकते हैं. हम आज भी घूमने के लिए कई ऐसी जगहों का चुनाव करते हैं, जो हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखती है. इसी परंपरा की झलक देखने को मिलती है सूरजकुंड मेले में. इस मेले में हर साल लाखों टूरिस्ट आते हैं.

हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के ‘सूरजकुंड’ क्षेत्र में हर साल मेला लगता है. सूरजकुंड मेला 15 दिनों तक चलता है. इस मेले में टूरिस्ट को हस्तशिल्प और शिल्पियों की हस्तकला के बीच ग्रामीण माहौल और संस्कृति भी देखने को मिलती है. यह मेला ढाई दशक से आयोजित हो रहा है.

सूरजकुंड मेले की खासियत

वर्तमान में इस मेले में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा, लोक कला, लोक व्यंजनों के अतिरिक्त लोक संगीत और लोक नृत्यों का भी अनोखा संगम देखने को मिल रहा है.

सूरजकुंड में मशहूर शिल्प मेले का आयोजन हर फरवरी में 1 से 15 तक चलता है.

इस बार 31वें सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में इस बार पर्यटकों को झारखंड की चित्रकला से परिचित होने का मौका मिलेगा. आदिवासी क्षेत्रों की वो चित्रकलाएं जो समय के साथ होते शहरीकरण के कारण विलुप्त होने के कगार पर हैं. इनके मेले में अलग से 50 स्टॉल लगाए जाएंगे.

पिछले सूरजकुंड मेले का आयोजन एक फरवरी से किया गया था. इस मेले में तेलंगाना को थीम राज्य बनाया गया था और इसमें 20 देश ने शिरकत की थी. इस मेले में विदेशी कलाकारों का कार्यक्रम खासा आकर्षण का केंद्र रहता है.

 

 

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