सुपरहिट फिल्मों के गाने लिखने वाले ‘आनंद बख्शी’ ने अपने जीवन में लिखे 4000 गाने, जानें उनके इस सफ़र की कहानी
फिल्म ‘मिलान’ के बाद फेमस हुए आनंद बख्शी एक लोकप्रिय भारतीय कवि और फ़िल्मी गीतकार थे। ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के रावलपिंडी में इनका जन्म हुआ था। भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद 1947 में उनका परिवार लखनऊ आ बसा।
लखनऊ में आनंद एक टेलीफोन ऑपरेटर का काम भी किया करते थे. उसके बाद दिल्ली जाकर एक मोटर मैकेनिक का काम भी उन्होंने किया. दिल्ली के बाद आनंद का मुंबई आना जाना रहता था और उसी दौरान 1958 में उनकी मुलाकात एक्टर मास्टर भगवान से हुई. उन्होंने आनंद को ‘भला आदमी’ फिल्म के लिए गीत लिखने का काम दिया.
फिल्म ‘भला आदमी’ के बाद भी आनंद को अगली फिल्म के लिए कई साल का इंतजार करना पड़ा और चार साल बाद 1962 में ‘मेहंदी लगी मेरे हाथ’ फिल्म मिली फिर 1965 में ‘जब जब फूल खिले’ फिल्म ऑफर हुई. दोनों फिल्मों को सूरज प्रकाश बना रहे थे.
आनंद बख्शी ने राज कपूर की फिल्म ‘बॉबी’, सुभाष घई की ‘ताल’ और अपने दोस्त यश चोपड़ा की फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के लिए भी गीत लिखे. साहिर लुधियानवी के अलावा आनंद बख्शी ही एक ऐसे गीतकार थे जो अपने गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद रहते थे और लगभग 4000 गाने उन्होंने लिखे हैं साथ ही आनंद बख्शी ने 1973 की फिल्म ‘मोम की गुड़िया’ में लता मंगेशकर के साथ गाना भी गाया है.
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आनंद बख्शी का नाम 1967 की फिल्म ‘मिलान’ के बाद काफी फेमस हो गया और उसके बाद एक से बढ़कर एक प्रोजेक्ट आनंद को मिलने लगे. उसके बाद आनंद बख्शी ने एक से बढ़कर एक फिल्में ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘एक दूजे के लिए’ ‘अमर प्रेम’ और ‘शोले’ जैसी फिल्में के लिए भी लिखा. आनंद बख्शी साहब की बीमारी के चलते 30 मार्च 2002 को 71 साल की उम्र में मृत्यु हो गई.