ऐशबाग से सीतापुर रेल रूट हुआ बंद, रोडवेज बना सहारा

सीतापुर रेल रूटलखनऊ| ऐशबाग से सीतापुर रेल रूट शनिवार की रात से बंद हो गया। रविवार से इस रेल खंड पर ट्रेनें नहीं चलेंगी। रेल खंड को मीटर गेज से ब्रॉड गेज किया जा रहा है। कुछ महीने बाद यात्रियों को यहां से बड़ी लाइन की ट्रेनें मिलेंगी तब तक रोडवेज की बसें ही 21 हजार यात्रियों के लिए सहारा बनेंगी।

ऐशबाग से पीलीभीत सेक्शन पर कुल पांच ट्रेनें रवाना हुईं। आखरी ट्रेन थी ऐशबाग मैलानी। गाड़ी संख्या 52246 शाम 5.55 बजे प्लेटफार्म दो से 588 यात्रियों को लेकर रवाना हुई।

सीतापुर रेल रूट होगा बड़ी लाइन

ऐशबाग जंक्शन से प्रतिदिन सीतापुर के बीच दो, पालीभीत के लिए तीन, मैलानी के लिए दो, टनकपुर के लिए दो तिकुनियां के बीच एक व पलियांकला के बीच एक ट्रेन मिलाकर 11 ट्रेनें रविवार से नहीं चलेंगी।

ऐशबाग जंक्शन से रवाना होकर अंतिम पैसेंजर ट्रेन जब बीकेटी रेलवे स्टेशन पहुंची तो वहां दैनिक यात्रियों ने गार्ड व ड्राइवर सहित ट्रेन में सवार यात्रियों का स्वागत करते हुए टॉफी बांटी।

सिटी बस से इटौंजा तक करें सफर

सिटी ट्रांसपार्ट चारबाग व कैसरबाग बस अड्डे से इटौंजा तक सिटी बसें चलाने जा रहा है। रविवार की सुबह से दोनों बस स्टाप से 11 बसों की सेवा सुबह छह व सात बजे दोनों दिशाओं से रवाना होंगी। जोकि रात आठ बजे तक चलेगी। यात्रियों को चारबाग से इटौंजा के बीच 30 किलोमीटर दूरी का किराया 35 रुपये व कैसरबाग से 27 किलोमीटर की दूरी का 30 रुपये किराया देना होगा।

चारबाग से नौ सिटी बसें हर घंटे इटौंजा के लिए रवाना होंगी। ये बसें चारबाग से हजरतगंज, गोलमार्केट, कपूरथला, इंजीनियरिंग कॉलेज, मडियांव, बीकेटी होकर इटौंजा जाएगी। वहीं कैसरबाग बस अड्डे से रवाना होकर डालीगंज पुल, खदरा, मडियांव, बख्शी का तालाब के रास्ते इटौंजा पहुंचेगी।

सीतापुर के लिए रोडवेज की 109 बसें

रेल खंड बंद होने के कारण रोडवेज की 109 अतिरिक्त बसें 21 हजार यात्रियों के लिए उपलब्ध रहेंगी। सीतापुर रूट के लिए ये बसें चारबाग और कैसरबाग से मिलेंगी। कैसरबाग बस अड्डे से 85 और चारबाग बस अड्डे से 24 बसें चलेंगी। अधिकारियों का कहना है कि रविवार की सुबह छह बजे से रात 11 बजे तक सीतापुर रूट की अतिरिक्त बसों का संचालन होगा। अधिकारियों का दावा है कि ये बसें रास्ते में पड़ने वाले हर स्टाप पर रुकेंगी।

ऐशबाग से पीलीभीत के बीच चलने वाली मीटरगेज की 26 ट्रेनें सिर्फ रेलवे कर्मचारियों का ही पेट नहीं पालती हैं बल्कि इन ट्रेनों से सैकड़ों और परिवार भी पलते हैं जो सुबह से शाम तक चाय, रेवड़ी, समोसे, कोल्ड¨ड्रक बेच कर रोजाना तीन से चार सौ रुपये कमा कर अपने परिवार का पालन कर रहे थे। 15 मई से ट्रेनें बंद होने के बाद यह दुकानदार दूसरे कामों की तलाश में जुटेंगे।

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