सिर्फ कोहिनूर ही नहीं अंग्रेज भारत से ले गए थे ये अनमोल चीज…जानकर चौंक जाएंगे आप…

अंग्रेज जब भारत आए तब वे अपने साथ सिर्फ कोहिनूर हीरा ही नहीं ले गए, भारत का एक पत्थर ब्रिटेन की क्वीन विक्टोरिया को इतना पसंद आया कि वो उसे भी अपने साथ लंदन लेकर चली गईं। इस पत्थर को शजर कहा जाता है।

सिर्फ कोहिनूर ही नहीं अंग्रेज भारत से ले गए थे ये अनमोल चीज

आपको जानकर हैरानी होगी कि, शजर पत्थर पर कुदरत खुद चित्रकारी करती है और इसकी एक और खास बात है कोई भी दो शजर पत्थर एक से नहीं होते। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन जब ब्रिटेन की महारानी को दिया गया इसके बाद दिल्ली दरबार में एक नुमाइश लगी।

वहां क्वीन विक्टोरिया इस शजर पत्थर को देखकर मोहित हो गईं और वो इसे अपने साथ ले आईं। यह पत्थर बांदा में केन नदी के तट पर पाया जाता है। इसे ज्वेलरी, वाल हैंगिंग और ताजमहल जैसी कलाकृति बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

कुछ लोग इसको बीमारी में फायदा पहुचाने वाला पत्थर भी मानते हैं। आइए जानते हैं कैसे हुई इन पत्थरों की खोज?यह सिर्फ पत्थर ही नहीं भारत की एक धरोहर भी है और इसके पीछे एक कहानी भी है जो बहुत दिलचस्प है।

केन नदी में यह पाया जाता था। लेकिन इसकी पहचान कोई नहीं कर पाया कहते हैं इसकी पहचान लगभग 400 साल पहले अरब से आए कुछ लोगों ने की। कुदरत की चित्रकारी को देखकर वे दंग रह गए।

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शजर पत्थर पर कुदरती रूप से पेड़, पत्ती की आकृति के कारण इसका नाम उन्होंने शजर रख दिया जिसका मतलब पर्शियन में पेड़ होता हैं। उसके बाद मुगलों के राज में शजर की मांग कम हो गई। क्यूंकि मुगलों के समय एक से एक कलाकार आए और उनकी कलाकृति देख लोग शजर को भूल गए।

कुछ साल पहले तक भारत में 34 ऐसे कारखाने थे जहां शजर पत्थर को तराशा जाता था, लेकिन अब कुल मिलाकर चार कारखाने ही बचे हैं।

कारीगर धीरे-धीरे काम छोड़ रहे हैं। कारीगर कम होने के बाद भी शजर की मांग बढ़ रही है खासतौर से ईरान जैसे देशों में इस शजर की मांग है। इसे बढ़ावा नहीं दिया गया तो शजर अपनी शान खो देगा।

 

 

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