सांप्रदायिकता के खिलाफ वाम दल यूपी में चलाएंगे अभियान

सांप्रदायिकतालखनऊ । सांप्रदायिकता, महंगाई, बेरोजगारी जैसी समस्याओं को लेकर वामपंथी दल पूरे उत्तर प्रदेश में सघन अभियान चलाएंगे। अभियान के क्रम में वाराणसी, फैजाबाद, मथुरा, मुरादाबाद और मुजफ्फरनगर में क्षेत्रीय स्तर पर सम्मेलन किए जाएंगे। यह निर्णय सोमवार को वामपंथी दलों द्वारा आयोजित राज्य सम्मेलन में लिया गया।

उच्च शिक्षा संस्थानों का ‘भगवाकरण’ किया जा रहा है

सम्मेलन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सचिव डॉ. गिरीश शर्मा ने सांप्रदायिकता के विरोध में मुख्य प्रस्ताव रखते हुए कहा कि संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों का हनन किया जा रहा है। विरोधी स्वर को, लेखनी या वाणी के माध्यम से बुलंद होने से रोकने के लिए जम्मू-कश्मीर से लेकर चेन्नई तक तथा पश्चिम बंगाल से लेकर राजस्थान तक उच्च शिक्षा संस्थानों का ‘भगवाकरण’ किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के दलित छात्र रोहित वेमुला का मामला हो या जेएनयू के छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया तथा उनके साथियों पर देशद्रोह का आरोप मढ़ने का मामला हो, ऐसा ही देखा गया है। डॉ. गिरीश ने कहा कि उत्तराखंड में बेशर्मी के साथ किया गया तख्तापलट का प्रयास बताता है कि मोदी शासन में संघीय व्यवस्था भी सुरक्षित नहीं है। लोकतंत्र को फासीवादियों से बचाने में कहीं देर न हो जाए, इसलिए देश के हर नागरिक को सतर्क रहना होगा।

प्रस्ताव का समर्थन करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्य सचिव मंडल के सदस्य एस.पी. कश्यप ने कहा कि मौजूदा सरकार तेजी के साथ नवउदारवादी नीतियों को लागू कर रही है। जनता में इन नीतियों के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जनता को विभाजित करने के लिए आरएसएस के नेतृत्व में सांप्रदायिक शक्तियां सक्रिय हैं। जनविरोधी आर्थिक नीतियों के विरोध के साथ-साथ हमें सांप्रदायिक शक्तियों का भी विरोध तेज करना होगा।

प्रस्ताव पर भारती कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के रामजी राय, ताहिरा हसन, फॉरवर्ड ब्लॉक के विजयपाल सिंह, सुनील कुमार तिवारी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आॅफ इंडिया (कम्युनिस्ट) के बेचन अली व सुनील कुमार तिवारी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अरविंद राज स्वरूप तथा मार्क्सवादी नेता दीनानाथ सिंह यादव ने अपने विचार रखे।

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