सवर्ण आरक्षण के लिए आय की तय सीमा पर फंसा पेंच, हो सकते हैं ये बड़े बदलाव

नई दिल्ली। सरकार के आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण लेने के बाद यह बिल लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में भी पास हो चुका है।

इस बिल को लागू होने के लिए सिर्फ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर ही बाकी हैं। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह बिल कानून के रुप में लागू हो जाएगा। सरकार द्वारा सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया है। इस बिल के लागू होने के साथ ही किस आय सीमा तक के लोग इसका लाभ उठा सकेंगे, इस मामले पर चर्चा शुरू हो गई है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, वर्तमान में बनाए गए नियम के मुताबिक सालाना 8 लाख रुपए तक की आय वाले या फिर 5 एकड़ तक की जमीन रखने वाले लोग सामान्य वर्ग में इस आरक्षण के हकदार होंगे। लेकिन इस आरक्षण के लिए तय की गई यह आय सीमा अंतिम नहीं है। इसमे फेरबदल किए जाने के संकेत केंद्र सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं।

चूंकि 8 लाख रुपए सालाना इनकम करने वाले व्यक्ति को इस आरक्षण का पात्र होने को लेकर बहस छिड़ चुकी है। माना जा रहा है कि जिनकी इनकम 8 लाख सालाना है या फिर जिनके पास पहले से ही पांच एकड़ जमीन मौजूद है उन्हें यह आरक्षण मिलना उचित नहीं है। ऐसे में इस आरक्षण के तहत आय सीमा बढ़ाई या फिर घटाई जा सकती है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, मामले पर बयान देते हुए सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि सामान्य वर्ग में आरक्षण के लिए आय की तय सीमा नहीं अंतिम नहीं है और अभी इसमें बदलाव हो सकते हैं। बिल में अभी तक आय की सीमा या जमीन को लेकर कोई संदर्भ नहीं दिया गया है।

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हालांकि 8 लाख रुपए सालना आय वाले मानदंड के समर्थन में केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि ओबीसी की क्रीमी लेयर के लिए भी यही मानदंड तय है, इसलिए सामान्य वर्ग के लिए भी यही मानदंड तय किया गया है।

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केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय आय सीमा तय करते वक्त आय के मौजूदा इंडीकेटर्स और गरीबी के आंकड़ों पर गौर करेगा। 2011 की जनगणना में गैर-आरक्षिण श्रेणी की जनसंख्या को लेकर विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं। इन पर गौर करने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।

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