सलाखों के पीछे चल रही थी बड़ी साजिश, थर्मामीटर के पारे से था दहलाने का प्रयास

जनवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली पुलिस ने तिहाड़ जेल ने एक कॉल इंटरसेप्ट किया। यह कॉल कुछ अलग थी। कैदी ने अपने किसी साथी या परिवार से खाने-पीने या नशे का सामान नहीं मंगवाया था बल्कि उसे पारा की जरूरत थी। पारा जो तापमान नापने के लिए इस्तेमाल में लिया जाता है। पुलिसवालों ने जब इंटरनेट पर खोजबीन शुरु की तो खासतौर पर रची जा रही साजिश का पता चला। जेल के भीतर ही दो आतंकवादी बड़ी साजिश रच रहे थे और उनका टारगेट था तिहाड़ में ही कैद दिल्ली दंगों के दो आरोपी।

वह कॉल करने वाले शाहिद और रिसीव करने वाले असलम पर निगरानी बढ़ाई गयी। जानकारी में पता लगा कि शाहिद कोई आम कैदी नहीं है। वह गैंगरेप और मर्डर के आरोप में जेल के भीतर बंद था। दरअसल उसने 2015 में उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक महिला का गैंगरेप किया था। जिसके बाद बेरहमी से उसकी हत्या कर दी गयी थी। उसके दो बच्चों को भी नहीं छोड़ा क्योंकि उन्होंने अपराध होते हुए देख लिया था। असलम ने पुलिस को बताया कि उसने दवा की दुकानों से तकरीबन 100 थर्मामीटर खरीदे थे। गूगल पर उसने पारा जमा करने की जानकारी ली और थर्मामीटर तोड़ ड्रॉपर से पारा निकाल इत्र की शीशी में भर दिया।

पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को उसने बताया कि शाहिद ने ही उससे ऐसा करने को कहा था। इस पारे के इस्तेमाल से जेल में किसी की हत्या करने के लिए होना था। यह हत्या किसकी होनी थी यह किसी को नहीं पता था।

स्पेशल जेल में फिर शाहिद की रिमांड मांगी गयी। पूछताछ में उसने कथिततौर पर बताया कि वह अजीमुशान अब्दुल सामी के नाम के दो युवकों को संपर्क में आया। यह दोनों इस्लामिक स्टेट के ऑपरेटिव्स हैं। इस दोनों ने शाहिद को भड़काया कि वह दों लोगों को मार दे जिन्होंने कथिततौर पर पिछले साल दंगों के दौरान मस्जिद को क्षतिग्रस्त किया और उसके समुदाय के कुछ लोगों की जान ली। शाहिद ने कहा कि उसे IS की विचारधारा के बारे में जो बताया गया उससे वह बड़ा प्रभावित हुआ और उसने वैसा ही करने की ठान ली।

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