प्रेगनेंसी में दमा पीड़ित महिलाएं रहे सावधान, ये चीज पहुंचा सकती है नुकसान

समय से पहले प्रसवनई दिल्ली। वायु प्रदूषण के सांस प्रणाली पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में हम सभी जानते हैं। अब, नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हेल्थ ने कहा है कि वे गर्भवती महिलाएं जिन्हें दमा भी है, उन्हें वायु प्रदूषण के कारण समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है। गर्भधारण करने से तीन महीने पहले तक नाइट्रोजन ऑक्साइड के 30 हिस्से प्रति बिलियन ज्यादा संपर्क में आने से दमा से पीड़ित महिलाओं में यह खतरा 30 प्रतिशत तक होता है, जबकि बिना दमा वाली महिलाओं में इसकी संभावना आठ प्रतिशत होती है। इतने ही समय के लिए कार्बन मोनोऑक्साइड के संपर्क में आने से दमा पीड़ित महिलाओं में समयपूर्व प्रसव का खतरा 12 प्रतिशत अधिक होता है, जबकि दूसरी महिलाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

दमा पीड़ित गर्भवती महिलाओं के लिए आखिरी छह सप्ताह का समय भी काफी गंभीर होता है। अत्यधिक प्रदूषण वाले कणों, जैसे कि एसिड, मेटल और हवा में मौजूद धूल कणों के संपर्क में आना भी समयपूर्व प्रसव के खतरे को बढ़ा देता है।

यह जानकारी जरनल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनॉलॉजी में ऑनलाइन प्रकाशित हुई है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. के के अग्रवाल ने कहा कि दमा से पीड़ित लोगों को वायु प्रदूषण से बचने के लिए अत्यधिक प्रदूषण के समय घर से बाहर जाने से परहेज करना चाहिए। हमें वायु प्रदूषण कम करने के उपाय करना चाहिए।

वायु प्रदूषण हमारी सांस प्रणाली को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है और दमा, ब्रांकाइटिस, लंग कैंसर, टीबी और निमूनिया जैसे रोग का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण से ओजोन की परत को नुकसान पहुंचता है और यूवी किरणें धरती पर पहुंच कर त्वचा का कैंसर, आंखों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को क्षति पहुंचा सकता है।

वायु प्रदूषण ग्रीनहाउस प्रभाव पैदा करती है जिससे धरती के वातावरण में गर्मी बढ़ रही है, जिससे मौसम में तब्दीली आ रही है और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। बढ़ते तापमान से चोटियों पर जमी बर्फ पिघल रही है और बाढ़ का खतरा पैदा हो रहा है।

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