जूना अखाड़े ने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए उठाया यह बड़ा कदम

सनातन संस्कृति को बचाने के लिए अखाड़े अब जातिवाद को खत्म को खत्म करने की दिशा में बड़ी मुहिम छेड़ने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत कुंभ में पहले शाही स्नान से जूना अखाड़ा करने जा रहा है। जूना सभी अखाड़ों में सबसे बड़ा है। योजना बनाई गई है कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और वाल्मीकि सभी एक ही थाली में भोजन करेंगे, ताकि जातियों के बीच दूरी को समाप्त किया जा सके। आयोजन मकर संक्रांति के अवसर पर किया जाएगा।

सनातन संस्कृति

अखाड़े की योजना के अनुसार कुल 11 थालियां परोसी जाएंगी, जिसमें अलग-अलग जातियों के 21 युवाओं को भोजन कराया जाएगा। इसमें जातियों के हिसाब से जो संख्या निर्धारित की गई है, उसमें पांच वाल्मीकि, छह रविदास, दो ब्राह्मण, दो वैश्य, दो क्षत्रिय, दो खत्री और दो अन्य को शामिल किया जाएगा। जूना अखाड़े का कहना है कि यह सभी जातियां सनातन संस्कृति का हिस्सा हैं, लेकिन आपस में तकरार के चलते लोग एक नहीं हो पा रहे हैं। इसका फायदा दूसरी शक्तियां उठा रही हैं, जिससे संस्कृति को खतरा होने लगा है।

इस खतरे को भांपते हुए सभी को एक धड़े में इकट्ठा किया जा रहा है। अखाड़े का कहना है कि सभी को जोड़कर सनातन संस्कृति की रक्षा ही कुंभ जैसे पावन पर्व का उद्देश्य है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर जगद्गुरु पंचानंद गिरी ने बताया कि अखाड़े संस्कृति के संवाहक हैं, इसलिए उनकी रक्षा करना भी उन्हीं का कर्तव्य है। इसी वजह से जूना अखाड़ा नई मुहिम शुरू कर रहा है जिसका पूरे विश्व मे प्रचार-प्रसार किया जाएगा। यह उन देशों पर भी तमाचा है जो भारत की सनातन संस्कृति को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं।

वाल्मीकि समाज के कन्हैया को बनाया महामंडलेश्वर

जूूना अखाड़े ने आजमगढ़ निवासी कन्हैया को अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया है। कन्हैया वाल्मीकि समाज से हैं। अखाड़े ने उन्हें बिना किसी संकोच के अपने साथ जोड़ा। जूना अखाड़ा के संरक्षक और अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरी का कहना है कि जूना अखाड़ा ने सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए उदाहरण पेश किया है। शिवानंद गिरी को पहले शिव गिरि नाम दिया गया था। इस बार कुंभ में उनका अभिषेक किए जाने के बाद उनको स्वामी शिवानंद गिरी नाम दिया गया है।

सभी जातियों को जोड़ने के लिए फरवरी में होगा मंथन 

शंकराचार्य ट्रस्ट बंगलौर की तरफ से कुंभ में 2 से 4 फरवरी के बीच सनातन मंथन का आयोजन किया जाएगा। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य जातियों के बीच दूरी मिटाना है। शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश भर के संत, विद्वान, वैज्ञानिक आमंत्रित किए गए हैं। समापन के दिन प्रदेश और केंद्र सरकार के मंत्रियों को भी बुलाया जाएगा, ताकि यह संदेश एक साथ सभी तक पहुंचे।

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