सचिन को था मालूम भारत हारेगा सेमीफाइनल, मन ही मन रो रहे थे पर किसी को नहीं बताया

Sachin-Tendulkar-icc-world-Cupएजेन्सी/ भारत के लिए करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का दिल गुरुवार की रात को टूट गया. वेस्टइंडीज की टीम ने मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम पर खेले गए मैच में भारत को सात विकेट से हरा दिया. इस मैच को देखने के लिए खुद सचिन तेंदुलकर भी स्टेडियम में मौजूद थे. सचिन का दिल जानता था कि 31 मार्च के दिन खेले जाने वाले इस मैच का नतीजा पहले से तय है. सचिन ये राज अपने दिल में लेकर ही मैदान पर पहुंचे थे और 19वें ओवर की चौथी गेंद पर भारत की हार को लेकर उनका डर सही साबित हुआ. 

सचिन तेंदुलकर के क्रिकेट करियर में यूं तो हर दिन कुछ नया रिकॉर्ड लेकर आया. सचिन जब भी मैदान पर उतरे तो उन्होंने कुछ नया ही इतिहास रचा. लेकिन सचिन के करियर में एक दिन ऐसा भी आया था जिसकी टीस ‘क्रिकेट के भगवान’ को ताउम्र सताती रहेगी. सचिन को ये दर्द उसी वेस्टइंडीज टीम के खिलाफ मिला था, जिसके खिलाफ उनके शहर मुंबई में धोनी की सेना ‘रनयुद्ध’ में फिर हार गई. भारत की वर्ल्ड कप में मिली हार का सचिन के इसी 26 साल पुराने दर्द से सीधा कनेक्शन है.

सचिन तेंदुलकर को ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है, लेकिन उनके करियर में कप्तानी के दौरान ऐसा भी दौर आया था जब वह बेहद हताश हो गए थे. मैचों में लगातार मिली हार से घबराकर उन्होंने क्रिकेट छोड़ने तक का मन बना लिया था. सचिन के नेतृत्व में 31 मार्च 1997 में बारबाडोस टेस्ट में भारत को करारी शिकस्त मिली थी. 120 रन के टारगेट का पीछा करते हुए टीम इंडिया महज 81 रन पर ढेर हो गई थी. इस हार के बाद सचिन ने क्रिकेट को अलविदा कहने का मन बना लिया था. आगे, ‘दो दिन तक कमरे में बंद रहे क्रिकेट के भगवान’क्रिकेट के भगवान’ के सामने फिर झुके विराट कोहली, बनाया नया रिकॉर्ड

सचिन ने 31 मार्च 1997 को भारतीय क्रिकेट के इतिहास और अपने करियर का सबसे बुरा दिन करार दिया. उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘प्लेइंग इट माय वे’ लिखा है, बारबाडोस टेस्ट जीत के लिए 120 रन बनाने थे लेकिन हम 81 पर ऑल आउट हो गए. इससे मैं टूट गया था.मैंने खुद को दो दिन कमरे में बंद रखा

‘प्लेइंग इट माय वे’ के अनुसार तेंदुलकर ने लिखा, ‘मुझे हार से नफरत है. कप्तान के रूप में मैं टीम के लगातार खराब प्रदर्शन के लिए खुद को जिम्मेदार मानता था. नजदीकी मुकाबले हारने से मैं हताश था. इससे भी अधिक चिंता की बात यह थी कि मुझे नहीं पता था कि इससे कैसे उबरा जाए. जबकि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन पहले से ही कर रहा था.

सचिन ने अपनी आत्मकथा खुलासा किया, ‘कई करीबी मैच हारने से मुझे काफी पीड़ा पहुंच रही थी. हार से निपटने में मुझे लंबा समय लगा. उस दौरान मैं पूरी तरह खेल से दूर होने पर विचार करने लगा था. कुछ भी मेरे पक्ष में नहीं हो रहा था.’

 
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