देश की पहली जेल, जहां होती है संस्कृत की पढ़ाई

संस्कृत की पढ़ाई रायपुर: छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित केंद्रीय कारागार में योग, प्रवचन, व्याकरण, आयुर्वेद और ज्योतिष समेत पंडिताई की शिक्षा इन दिनों सैकड़ों कैदी ले रहे हैं। सबसे बड़ी बात यहां कक्षा छठवीं से ग्यारहवीं बोर्ड तक संस्कृत की पढ़ाई कराई जा रही है।

रायपुर केंद्रीय कारागार देश का पहला जेल है, जहां संस्कृत की पढ़ाई कैदी करते हैं। इसी सत्र 2016-17 से छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम ने 11वीं बोर्ड को मान्यता दी है, जहां प्रथम वर्ष में 23 कैदी संस्कृत विषय की पढ़ाई कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम के अध्यक्ष डॉ. गणेश कौशिक के मुताबिक, संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार स्कूल के अलावा अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में किया जा रहा है।

इसी सत्र से केंद्रीय कारागार में 11वीं बोर्ड संस्कृत को भी मान्यता दी गई है। यहां पहले से ही संस्कृत की पांच कक्षाएं संचालित हो रही हैं।

संस्कृत की पढ़ाई के लिए हुई शिक्षकों की भर्ती

संस्कृत के अनेक भागों को बेहतर तरीके से पढ़ाने के लिए जेल में संस्कृत शिक्षकों की भर्ती हुई है। वहीं समय-समय पर विवि और कॉलेज समेत अन्य संस्थानों के संस्कृत विद्वान पहुंचते हैं।

इसके अलावा, राज्य के एक निजी विश्वविद्यालय से एमबीए कोर्स शुरू करने की तैयारी चल रही है।

संस्कृत कोर्स से संस्कार और रोजगार : कैदियों के लिए संस्कृत की पढ़ाई इसलिए जरूरी है, क्योंकि इसमें संस्कार, आचार-व्यवहार की शिक्षा मिलती है। इससे कारावास के बाद, इनमें परिवर्तन होने की उम्मीद है। वहीं भविष्य में यही शिक्षा इन कैदियों को रोजगार उपलब्ध कराएगी। इससे उनका और परिवार का जीवनयापन चल सकेगा।

रायपुर केंद्रीय कारागार में पहली कक्षा से परास्नातक तक कुल 839 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं, जिन्हें प्रतिवर्ष इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विवि, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, एनआईओएस, संस्कृत विद्यामंडलम बोर्ड और राज्य ओपन स्कूल से सर्टिफिकेट मिल रहे हैं।

LIVE TV