संस्कृति को जीवित रखने की पहल…

रिपोर्ट – कान्तापाल

लोकेशन  – नैनीताल 

 

नैनीताल के एक निजी स्कूल में स्कूली छात्राओं के बीच ऐपण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । नैनीताल व् आसपास के 6 स्कूलों से लगभग 40 छात्राओं ने अपने हुनर से ऐपण  बनाकर बेहतरीन प्रदर्शन किया । नैनीताल से निशानत, एस.डी.एल, बालिका विद्या मंदिर, आल सेंटस कॉलेज, समेत जी.जी.आई.सी.खुर्पाताल की छात्राओं ने प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया । इसमें सभी छात्राएं सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल से पहुंची थी ।

 

 

 

आयोजकों  के अनुसार धूमिल होती जा रही कुमाऊँ की इस परंपरा को जीवित रखने के लिए कक्षा 12 तक की छात्राओं को प्रोत्साहित किया गया है । उन्होंने बताया उत्तराखंड में लुप्त होती जा रही ऐपण बनाने की संकृतिक को बचाये रखने के लिए ये प्रतियोगिता कराई जा रही है । छात्राओ द्वारा जनेऊ, लक्षमी, नाता, नवदुर्गा चौकी, नागमाता, शिवपीठ समेत अन्य चौकियों को गेरू और बिस्वार से बनाया जा रहा है।

 

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उन्होंने ये भी बताया की वे इन छात्राओं को उनकी कमी बता भी रहे हैं और पिछले कुछ समय में सुधार देखने को मिला है। लोगों को अपने अपने घरों से इस प्रथा को शुरू करने की बात भी उन्होंने कही। वहीं छात्राए भी इस प्रतियोगिता से काफी खुश दिखी।

 

ऐपण प्रतियोगीता में आयी छात्राओ ने कहा इस तरह की प्रतियोगिताओ से हमारी लुप्त हो रही संस्कृति को बढ़ावा मिलने के साथ उन्हे अपनी संस्कृति को नजदीक से जानने का अवसर भी मिलता है आज की युवापीढ़ी को अपनी इस संस्कृति को आगे बढ़ाने और बचाय रखने के लिए आगे आकर इसमे रुचि दिखानी होगी । अध्यापिकाओ का कहना है ऐपण विधा को जीवंत रखने के लिए माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम में विषय के रूप में शुरू करना होगा। उन्होंने बताया छात्राओं द्वारा सरस्वती, नारायण चौकी, शिव की पीठ की बहुत सुंदर चौकियां बनाई गई हैं।

 

आयोजको का कहना है वैसे तो राज्य सरकार उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढाने के लिए काम कर रही है अगर सरकार ऐपण को सरकारी कार्यालयों में लगाये तो लोक कलाकार को इससे रोजगार मिलने के साथ ऐपण विधा भी जीवन्त रहेगी।

 

बाइट – सुरूति जोशी, छात्रा

बाइट – चंचल, छात्रा

बाइट – बृजमोहन जोशी, जानकार कुमाऊ संस्कृति

बाइट  – राजन लाल साह, आयोजक

 

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