संतों का नगर में प्रवेश तालाब में पूजन के साथ हुआ संम्पन

peshwai1_5703616a7a93fएजेन्सी/उज्जैन : आखिरकार शंख, नगाड़ों और ढोलक की गूंज के साथ सिंहस्थ 2016 का आगाज़ हो गया। दरअसल साधु – संतों के 13 अखाड़ों में सबसे बड़े पंचदशनाम जूना अखाड़े की पेशवाई से सिंहस्थ पर्व का शुभारंभ हुआ। मंगलवार सुबह 10.30 बजे 8 अखाड़ों ने नीलगंगा तालाब से पेशवाई का प्रारंभ हुआ। तालाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पूजन किया। इस पेशवाई में लोकप्रिय संत भी शामिल हुए। जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंदजी मयूर रथ पर सवार होकर निकले। पेशवाई के दौरान शहर में बूंदाबांदी हुई। जिसके कारण सूर्य की तेज धूप का असर कुछ कम हो गया। पेशवाई में सबसे आगे घुड़सवार शामिल रहे तो दूसरी ओर घुड़सवारों के पीछे तीन ध्वज जो किए धर्म ध्वज पताका थी शामिल रही। यही नहीं एक ध्वज भगवान दत्तात्रय का शामिल था। भगवान दत्तात्रय जूना अखाड़े के आराध्य हैं। इसके बाद नागा सन्यासी अपने अस्त्र – शस्त्र के साथ शामिल थे। वे नाचते गाते आगे चलते रहे। नागा सन्यासियों के पीछे अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर जूनापीठाधीश्वर अवधेशानंद मयूर रथ पर सवार थे।  स्वामी अवधेशानंद गिरी के नेतृत्व में निकली पेशवाई के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा संतों का स्वागत किया गया। काशी सुमेरूपीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी आदि भी शामिल थे। पेशवाई में शामिल साधु संतों का स्थान – स्थान पर स्वागत हुआ।

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