संगम तट पर पहुंचे जूना अखाड़ा के संत, शाही स्नान का लेंगे पुण्य…

सूर्य 14 जनवरी की रात में 2.19 बजे मकर राशि में प्रवेश कर गए हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन के साथ ही मंगलवार, 15 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व शुरू हो गया है। संगम किनारे जमे श्रद्धालुओं ने 12 बजे रात के बाद से ही स्नान शुरू कर दिया और इसी के साथ आस्था के महाकुंभ का आगाज हो गया।

संगम तट पर पहुंचे जूना अखाड़ा के संत

श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संतों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों आखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। वहीं अब शाही स्नान के लिए सबसे बड़ा अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना के साथ अग्नि अखाड़ा और अवाहान अखाड़े के संत संगम तट पर पहुंचने वाले हैं।

श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तोपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़े के संत मकर संक्रांति पर पहले शाही स्नान की डुबकी लगाने के लिए अपने आचार्य, महामंडलेश्वर और ईष्ट देव के साथ संगम तट पर पहुंच चुके हैं।

श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के बाद अटल अखाड़े के संतों ने शाही स्नान किया। दोनों अखाड़ों का स्नान पूरा हो चुका है। दोनों अखाड़ों के संत अपने शिविर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
मकर संक्रांति पर मंगलवार को पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने सबसे पहले डुबकी लगाई। परंपरा के मुताबिक सबसे पहले अखाड़े के भालादेव ने स्नान किया। उसके बाद नागा साधुओं ने फिर आचार्य महामंडलेश्वर और साधु-संतों ने स्नान किया।
और तय समय के मुताबिक पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के संतों ने सबसे पहले संगम तट पर डुबकी लगाई…
महानिर्वाणी अखाड़े के बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संत, आचार्य और महामंडलेश्वर संगम तट पर शाही अंदाज में पहुंचे।
शाही स्नान के लिए सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी का जुलूस पहुंच चुका है। अखाड़े के देव भगवान कपिल देव तथा नागा संन्यासियों ने अखाड़े की अगुवाई की।
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शाही स्नान के लिए संन्यासी के अखाड़े निकल चुके हैं। पहले स्नान के लिए महानिर्वाणी अखाड़े के संत, अचार्य और महामंडलेश्वर शाही अंदाज में रथों पर विराजमान होकर संगम तट की ओर बढ़ रहे हैं।
इनके साथ चल रहा नागा साधुओं का कारवां लोगों की आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
आज यानि मंगलवार को ही पहला शाही स्नान है। सभी तेरह अखाड़ों को तीन वर्गों में बांटा गया है।
सन्यासी, बैरागी और उदासीन। सबसे पहले सन्यासी अखाड़े के संत शाही स्नान करेंगे, इसके बाद बैरागी और अंत में उदासीन के अंतर्गत आने वाले संत शाही स्नान करेंगे।
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