खुद को पहचानें

आज के तनावपूर्ण जीवनशैली में श्रीश्री रविशंकर के विचार युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभा सकते हैं। भारत एक आध्यात्मिक देश है और समय-समय पर भारत में धर्मगुरूओं ने जन्म लेकर के लोगों का मार्गदर्शन किया है। श्रीश्री रविशंकर के विचार आध्यात्मिका और मानवतावाद के चरम पर पहुंचाते हैं। श्रीश्री रविशंकर के विचार जानें इससे पहले हम आपको बता दें कि इन्‍होंने सुदर्शन क्रिया यानि आर्ट आफ लिंविंग (Art of Living)  से लोगों के मन और शरीर में ऊर्जा उत्पन्न कर उन्हें उन्नति के पथ पर चलने की प्रेरणा दी। आइए जानते हैं श्री श्री रविशंकर के विचार हमें क्‍या शिक्षा देते हैं।

 श्रीश्री रविशंकर के विचार

 

श्रीश्री रविशंकर के विचार

1 सफलता के लिए बेचैन मत होइए। यदि आपका लक्ष्य साफ है और आप में आगे बढ़ने का धैर्य है तो प्रकृति भी आपकी मदद करेगी।

2 जहाँ भी सच्चाई और प्रतिभा है उसे पहचाना जाता है। इसमें कुछ वक्त लग सकता है। लेकिन हमें चाहिए कि हम धैर्य के साथ अपने जुनून के प्रति समर्पित रहें।

3 असफलता भविष्य में सफलता प्राप्त करने की अच्छी विधि है।

4 आध्यात्मक ज्ञान की शक्ति आपको केन्द्रीकरण प्रदान करती है जिससे आपको कार्य के प्रति जुनून प्राप्त होता है।आध्यात्मिक ज्ञान आपकी अन्तज्र्ञान शक्ति, मौलिक शक्ति और संवाद क्षमता को बढ़ाता है।

5 जिंदगी गंभीर बने रहने के लिए नहीं है| जिंदगी तुम्हारे हाथों में खेलने के लिए एक गेंद की तरह है – तुम इस गेंद को पकड़े मत रहो|

6 न तो आप बहुत ज़्यादा लापरवाह रहें और न ही बेचैन हों। आपको बीच का रास्ता अपनाना चाहिए।

7 सृष्टि उनकी ही मदद करती है जिनके उद्देश्य स्पष्ट और शुद्ध होते हैं।

8 अपनी विशिष्टता को पहचानिए और उसका सम्मान कीजिए।

9 कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का सकारात्मक पहलू यह है कि प्रतिस्पर्धा आपको अधिक जागरूक और प्रगतिशील बनाती है।

10 अपने मस्तिष्क को नए विचारों के लिए खुला रखें। सफलता की बहुत अधिक चिंता मत कीजिए। सौ प्रतिशत प्रयास और ध्यान ही उद्यमियों की सफलता का सूत्र है।

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