शीला दीक्षित हो सकती हैं यूपी में कांग्रेस की सीएम उम्‍मीदवार

शीला दीक्षितनई दिल्‍ली। यूपी में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। चर्चा है कि दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को कांग्रेस यूपी का सीएम चेहरा बना सकती है। बताया जा रहा है कि ऐसा यूपी में कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सलाह पर किया जा रहा है। दिल्‍ली में गुरुवार को शीला दीक्षित की कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद इस बाबत घोषणा की जा सकती है।

दरअसल, कुछ दिनों पहले कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने उत्तर प्रदेश के सभी ब्लॉक अध्यक्षों के साथ बैठक के बाद कांग्रेस आलाकमान को यह सुझाव दिया था कि किसी गांधी चाहे वह राहुल हों या प्रियंका को उत्तर प्रदेश का जिम्मा लेना चाहिए। लेकिन यह संभव नहीं हो पाया।

शीला दीक्षित पार लगाएंगी यूपी की नैय्या ?

यूपी में प्रमुख चेहरे के लिए प्रशांत किशोर की तीसरी पसंद शीला दीक्षित थीं। शीला दीक्षित पंजाबी हैं। उनका जन्म कपूरथला में हुआ है और उनकी शादी उत्तर प्रदेश के ब्राहमण नेता उमाशंकर दीक्षित के बेटे से हुई थी । इस लिहाज से शीला दीक्षित उत्तर प्रदेश में बहू मानी जाती हैं। शीला दीक्षित कन्नौज से सांसद भी रह चुकी हैं।

सूत्रों की माने तो कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर यूपी में कोई सीनियर ब्राह्मण चेहरा चाहते हैं।  किशोर की स्ट्रैटजी समझने वाले एक शख्स ने बताया कि यूपी के लिए दिल्ली की पूर्व सीएम शीला दीक्षित को फोकस किया जा सकता है। शीला दीक्षित खुद खत्री हैं। उन्होंने एक ब्राह्मण से शादी की है। ये दोनों ही कम्युनिटीज यूपी में हैं। कांग्रेसी नेताओं की मानें तो प्रशांत किशोर और शीला दीक्षित ने इस सिलसिले में मुलाकात भी की है।  उनको लगता है कि शीला का दिल्ली के पूर्व सीएम के रूप में रिकॉर्ड अच्छा रहा है, जो यूपी में काफी मददगार साबित हो सकता है।  हालांकि, उनकी उम्र को देखते हुए ये सवाल खड़ा होता है कि सीएम पद के कैंडिडेट के रूप में वह कितनी सही हैं।

पिछले हफ्ते कांग्रेस ने यूपी के प्रभारी रहे मधुसुदन मिस्त्री की जगह गुलाम नबी आजाद को यूपी का इंचार्ज बनाया है । अभी लखनऊ में कांग्रेस के नए प्रभारी गुलाम नबी आजाद 900 कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं यह दो दिनों तक चलेगी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जाना है।

कांग्रेस उत्‍तर प्रदेश में दो दशक से अधिक समय से सत्‍ता का वनवास झेल रही है। 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी में केवल दो सीट जीत पाई थी। राय बरेली और अमेठी की सीट।

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