जानिए महादेव की महिमा से क्या है पूजा का खास महत्व

भगवान शंकर जिसके आराध्य हों या फिर अगर कोई साधक भगवान शंकर का ध्यान करता हो तो उनके बारे में कई भाव मन में प्रस्फुटित होते हैं। भगवान शिव सौम्य प्रकृति एवं रौद्र रूप दोनों के लिए विख्यात हैं। अन्य देवों से शिव को भिन्न माना गया है। यह सबसे भोले देवता है जो शीघ्र प्रसन्न हो जाते है , भक्त इन्हे भोलेनाथ कह कर पुकराते है | सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदिस्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं।

जानिए महादेव की महिमा से क्या है पूजा का खास महत्व

शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं। शिव में परस्पर विरोधी भावों का सामंजस्य देखने को मिलता है।  सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले यह महादेव भोलेबाबा के नाम से अपने भक्तो में प्रसिद्द है | यह महातपस्वी महा अघोरी और तंत्र मंत्र के रचियता है | तांत्रिको और अघोरियो के यह परम आराध्य है | इन्होने अनेको अवतार जनकल्याण  के लिए लिया है |

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नटराज रूप : इस रूप में शिवजी नृत्य करते नजर आते है | यह सबसे उत्तम नर्तक और नृत्य के जनक कहलाते है | इनका तांडव नृत्य सबसे प्रमुख है | यह तांडव दोनों रूपों में है एक प्रलयकारी तांडव जो शिव के क्रोधित होने पर किया जाता है | और अन्य सौम्य तांडव जो शिव के प्रसन्न होने पर किया जाता है |

रौद्र तांडव शिवजी करने से वो रूद्र कहलाते थे जिससे  सृष्टी में महाविनाश आ जाता है | इस अवस्था में इनका त्रिनेत्र खुल जाता है जो विनाशकारी है |

कैसे दिखाई देते है भोलेनाथ :

जटाधारी शिव एक तपस्वी की तरह दिखते है जो माया धन से परे है | भस्म से अपना श्रंगार करते है | हलाहल विष का पान करने से यह नीलकंठ वाले है | इनकी जटाओ और शरीर पर बहुत से नाग लिपटे हुए है | रुद्राक्ष की माला जटा पर हाथो पर बंधी हई है | त्र्यम्बक शिव इसलिए कहलाते है क्योकि इनके एक तीसरी आँख भी है | इनकी जटाओ में गंगा और शीश पर अर्धचन्द्रमा सुशोभित है |  माँ शक्ति के साथ इनका अर्धनारीश्वर रूप जगत रचियता है |

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शिव शंकर की महिमा में पूजा

सोमवार को शिव पूजा करना हमारे शास्त्रों में बताया गया है | शिव के मंत्र का जप करे | यह सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता है | शिवलिंग के रूप में इनके निराकार रूप की पूजा की जाती है | इनके जन्म का कोई पता नही है अत: महा शिवरात्रि जिस दिन इनका विवाह माँ पार्वती से हुआ , बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | सभी माह में सावन मास शिव को अति प्रिय है |

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