शिव के इस मंत्र से देवता भी बन जाएंगे दास, लेकिन केवल एक बार…

अगर हम इतिहास तथा पुराण पर नजर डालें तो पाएंगे कि भगवान शिव की पूजा से राक्षसों ने अमर होने तक का वरदान प्राप्त किया था। भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता है जो केवल एक लोटा जल चढ़ाने पर ही प्रसन्न होकर मनचाहा वरदान दे देते हैं।

सावन के महीने में भी शिवलिंग का अभिषेक इसी उद्देश्य से किया जाता है कि वो प्रसन्न होकर व्यक्ति के सभी मनचाहे कार्य पूर्ण कर दें।

शिव के इस मंत्र से देवता भी बन जाएंगे दास

आइए जानते हैं भोलनाथ की एक ऐसी ही पूजा जिसे करने से आपकी मनचाही इच्छाएं तो पूरी होंगी ही, साथ में उनके दर्शन भी हो सकते हैं।

क्या हैं और कैसे करें इस पूजा को इसके लिए सबसे पहले आपको शिवलिंग का निर्माण करना होगा।

इस निर्माण में के लिए आपको शमशान की मिटटी, तथा भस्म, श्यामा (काली) गाय का गोबर दूध और घी, गंगा जल, शहद बेलपत्र धतूर फल और फूल स्वेतार्क के पुष्प, भांग रुद्राक्ष की माला, लाल आसन, लाल वस्त्र की आवश्यकता होगी।

इन सभी सामग्री को एकत्रित कर जहां शिवलिंग का निर्माण होना है उसे गोबर से लीप कर पवित्र कर लें।

स्नान-ध्यान आदि से निवृत्त होकर मिटटी, भस्म और गोबर को गंगा जल से भिगोकर एक 16 इंच लम्बा और पांच इंच मोटाई (गोलाई) के शिवलिंग का निर्माण करें!

ध्यान रखें इस पूजा को पूर्णिमा को आरंभ करना होता है अतः किसी कुशल ज्योतिषी से शुभ मुहूर्त निकलवा लें। सबसे पहले भगवान गणेश, माता पार्वती तथा अपने गुरु की पूजा कर उनसे आशीर्वाद लें।

तत्पश्चात साफ, धुले हुए पीले वस्त्र पहने कर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पीले आसन पर बैठें तथा संकल्प ले कि मैं इतने (उदाहरण के तौर पर 11000, 31000, 51000 या सवा लाख आदि) जाप करूंगा।

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वैसे पूरा विधान 5 लाख जप से होता है। इसके बाद अपने गुरुमंत्र की 4 माला जप करें। साथ ही गौरी गणेश की स्थापना सुपारी में कलावा लपेटकर करें और पुजन संपन्न करें तथा अपने दाहिने ओर भैरव की स्थापना करें यदि आपके पास भैरव यंत्र या गुटिका हो तो अति उत्तम या फिर सुपारी का भी उपयोग कर सकते हैं।

अब भगवान् भैरव का पूजन सिन्दूर और लाल फूल से करें तथा गुड का भोग लगाएं। उनके सामने एक सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें जो मन्त्र जप तक जलता रहे। अब अपने बायीं ओर एक घी का दीपक प्रज्वलित करें जो कि पूरे साधना काल में अखंड जलता रहे।

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