कल से शुरू हो रहा है शिव का महीना, इस तरह के करें आराधना मिलेगा मन मुताबिक फल!

कल यानी 17 जुलाई 2019 से सावन की शुरुआत हो रही है। हिन्दू धर्म और संस्कृति में सावन को सबसे पवित्र महीने का दर्जा हासिल है। इसे भगवान शिव का महीना कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में देवों ने असुर नाविकों, योद्धाओं, श्रमिकों की सहायता से समुद्र-मंथन का संयुक्त अभियान सावन के महीने में ही आरंभ किया था। इस मंथन से जो चौदह रत्न-लक्ष्मी, कामधेनु , उच्चैःश्रवा, चन्द्रमा, कौस्तुभ, कल्पवृक्ष, वारुणी, पारिजात, धन्वन्तरि, अमृत, ऐरावत,हलाहल आदि मिले थे,उनके बंटवारे में देवों और असुरों के बीच जम कर विवाद हुआ था।

शिव का महीना

देवों ने छल से बारह कीमती रत्न खुद के लिए रख लिए। बेचारे असुरों के हाथ सिर्फ वारुणी लगी। चौदहवा विनाशकारी रत्न हलाहल सामने आया तो सृष्टि पर विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया। इस विष का कोई दावेदार नहीं मिला। सृष्टि को इस विष के घातक प्रभाव से बचाने के लिए देवों और असुरों में समान रूप से प्रिय शिव ने यह जहर खुद पी लेना स्वीकार किया।

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यह नीला जहर उनके कंठ में एकत्र हो गया जिसके कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला। उनके शरीर में विष का ताप कम करने के लिए देवों ने दूर-दूर से गंगाजल लाकर उनका अभिषेक किया था। तब से शिवभक्तों द्वारा सावन के महीने में पवित्र गंगा से जल लेकर भारत के विभिन्न ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। शिव के प्रति सम्मान इतना कि भक्त पवित्र जल के कांवर के साथ ‘बोल बम’ का जयघोष करते सैकड़ों मील की पैदल और कष्टपूर्ण यात्रा कर उनके मंदिर पहुंचते हैं।

आप सबको पवित्र सावन की बहुत शुभकामनाएं, भगवान शिव को समर्पित एक मुक्तक के साथ !

 

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